नयी दिल्ली 09 जून । लोकसभा चुनाव 2024 की नवनिर्वाचित सांसद कंगना रनौत के साथ चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर हुई अभद्रता केवल एक अभद्रता नहीं है बल्कि यह घटना देश में वीवीआईपी सुरक्षा में लगी एजेंसियों की समीक्षा की अविलंब जरूरत को भी रेखांकित करती है।
इस घटना पर प्रमुख विपक्षी दल और पंजाब के नेता किसान आंदोलन को लेकर सरकार और उनके समर्थकों की गलतबयानबाजी से उठे आक्रोश को वजह बता रहे हैं। कारण चाहे जो हो लेकिन वीवीआईपी लोगों की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों का इस तरह का व्यवहार कई तरह से सवाल खड़े करता है।
कंगना को जिस समय सीआईएसएफ कांस्टेबल कुलविंदर कौर ने थप्पड़ मारा उस समय कंगना हवाईअड्डा परिसर के भीतर और सुरक्षाकर्मियों के बीच थीं। वह अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से निश्चिंत थीं और ऐसे में महिला कांस्टेबल की यह हरकत बड़े सवाल खड़े करती है। किसान आंदोलन कब का हो चुका और विवादित कानून भी कब के वापस ले लिये गये तो फिर ऐसे में गुस्सा इतना लंबे समय तक बरकरार रहना और बदला लेने के लिए मौके के इंतजार में बैठे रहना , वह भी किसी ऐसे व्यक्ति का जो सरकार की ओर से वीवीआईपी सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है, अपने आप में सवाल खड़े करता है।
कंगना सुरक्षा चेकिंग के लिए पूरी निश्चितंता के साथ जब महिला कांस्टेबल के पास आयीं तो उस समय हाथ उठाना , यह बेहद गंभीर है। यह वीवीआईपी कोई भी हो सकता था तो किसी सुरक्षाकर्मी का यह दुस्साहस अपने आप में बड़ी घटना है। ऐसे ही सुरक्षाकर्मियों के गुस्से और असंतोष के कारण प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर गोलियां चलायीं गयीं थीं और श्रीलंका में गार्ड ऑफ ऑनर लेते हुए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर श्रीलंका के सैनिक ने रायफल की बट से हमला किया था।
इन सभी घटनाओं में वीवीआईपी सुरक्षाकर्मियों ने धोखा दिया है और ऐसा ही कुछ कंगना के साथ हुआ है। बताया जा रहा है कि कंगना के बयान पर महिला सुरक्षाकर्मी कुछ आहत थी तो थप्पड मारा यदि कुछ ज्यादा असंतुष्ट होती तो उस रिवाल्वर से गोली भी नहीं चला सकती थी जो सरकार की ओर से वीवीआईपी सुरक्षा के लिए ही उसे दी गयी थी। यह अपने आप में बड़ी चिंता का विषय है ।
यह घटना को बढ़ा चढा कर देखना नही बल्कि किया गया अपराध कितना गंभीर हो सकता था, उस सीमा को समझने का प्रयास है। इस समझ के साथ ही यह निष्कर्ष भी आता है कि यदि ऐसा हुआ है तो जिन सुरक्षाकर्मियों पर जिम्मेदारी होती है वीवीआईपी की सुरक्षा की, अब उस पूरे तंत्र को रिव्यू और रिवाइज़ (समीक्षा और संशोधन) करने का समय आ गया है।
नयी सरकार के सत्ता संभालने के बाद गृह मंत्रालय को इस घटना को पूरी गंभीरता से लेते हुए तंत्र की समीक्षा के लिए कदम उठाना जरूरी है।
टीम वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन