नयी दिल्ली 13 फरवरी । खाड़ी देश कतर की एक अदालत से मौत की सजा पाने वाले आठ पूर्व नौसैनिकों में से सात की सकुशल घर वापसी का पूरा घटनाक्रम दुनिया के सामने न केवल भारत की जबरदस्त कूटनीति का उदाहरण पेश करता है बल्कि विश्व में भारत की बढ़ती ताकत का भी अभूतपूर्व उदाहरण पेश करता है।
इतना ही नहीं यह पूरा घटनाक्रम सोशल मीडिया को लेकर अकसर की जाने वाली तमाम नकारात्मक बातों के बीच इसके एक बेहद सकारात्मक और मजबूत पक्ष को भी सामने लाता है।
कतर में “दहरा ग्लोबल ” नाम की कंपनी में काम करने वाले आठ भूतपूर्व नौसैनिकों के सिर पर छाये मौत के बादल भारत के कूटनीतिक प्रयासों तथा प्रधानमंत्री द्वारा खुद इस मामले में किये गये प्रभावी हस्तक्षेप के बाद न केवल छटे बल्कि सात पूर्व नौसैनिक आज सकुशल अपने परिजनों के पास घर वापस भी लौट आये हैं।
कतर की खुफिया एजेंसी ने इन भारतीयों पर इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार किये गये पूर्व कमांडेंट पुर्णेंदु तिवारी की बहन डॉ. मीतू भार्गव ने इस मामले को सोशल मीडिया पर उठाया और अपने ट्विटर हैंडल पर दी गयी इस जानकारी को केंद्र सरकार , पीएमओ,विदेशमंत्रालय आदि को टैग करते हुए उनके इस ओर ध्यान देने की मुहिम चलायी। सोशल मीडिया पर लोगों के भी इस मुद्दे से जुड़ने और लगातार इस पर अपडेट फैलाने से सरकार के सामने भी यह मुद्दा प्रमुखता से आया।
इस बीच विदेश मंत्रालय ने तेजी से इस पर काम करना शुरू किया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पीड़ित पक्ष के परिजनों से मुलाकात कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया लेकिन इसी बीच कतर की अदालत के 26 अक्टूबर 2023 को इन सभी भारतीयों को मौत की सजा पर मुहर लगाने से शंकाओं के बादल मंडराने लगे।
इस पूरे घटनाक्रम में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा भी कतर की खुफिया एजेंसी को भड़काने की रिपोर्ट आने लगीं। ऐसे में भारत के दुनिया में आर्थिक रूप से ,कूटनीतिक रूप से मजबूत होने के दावों पर सवाल उठने लगे। इन सभी आरोप प्रत्यारोपों के बीच भारतीय कूटनीतिज्ञ अपने काम में लगे रहे और भारत ने कतर पर दबाव बनाने के लिए जबरदस्त रूप से लॉबिंग शुरू की।
इन सभी प्रयासों का नतीजा रहा कि 24 नवंबर को कतर की अदालत ने मौत की सजा के खिलाफ अपील स्वीकार कर ली। इसके बाद दोहा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 04 दिसंबर को कतर के अमीर के साथ दो मिनट की मुलाकात की ।
इस छोटी से मुलाकात के बाद ही 28 दिसंबर को कतरी अदालत ने आठ भारतीयों की मृत्युदंड की सजा को खत्म कर दिया लेकिन जेल में रहने का आदेश दिया। इसके बाद से मीडिया गलियारों में पूरी तरह से सन्नाटा छाया रहा और 12 फरवरी को अचानक ही सुर्खियां बनीं कि कतर में मौत की सजा पाये आठ भूतपूर्व नौसैनिकों में से सात देश लौट आये हैं। जो एक कतर में रह गये हैं उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया है और कुछ कागजातों के वेरीफिकेशन के बाद वह भी लौट आयेंगे।
सकुशल वापसी करने वाले भूतपूर्व नौसैनिकों ने इस अभूतपूर्व सफलता के लिए भारत के विदेश मंत्रालय, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत प्रयासों और कतर के अमीर को धन्यवाद दिया है। इस बीच भारत ने कतर के साथ 78बिलियन डॉलर यानी 7800 करोड की एक डील की है । इस बड़ी डील को भी भारतीयों की रिहाई के एवज में करने की बातें सुर्खियां बटोर रहीं हैं। अगर ऐसा है भी तो दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के निहितार्थभी भारत ने दुनिया के सामने रख दिये हैँ।
इस पूरे घटनाक्रम को जिस गुपचुप तरीके से पूरा किया गया वह भी अपने आप में काबिल-ए-तारीफ़ है और इस सरकार की उसी परिपाटी का नतीजा है कि जिसमें बिना किसी शोरगुल के बड़े ही शांतिपूर्ण तरीके से ऐसे ऐसे कारनामे अंजाम दे दिये जाते हैं कि देश तो देश पूरी दुनिया ही भौचक रह जाती है।
पूरे घटनाक्रम में अपने भाई की रिहाई के लिए सोशल मीडिया पर जबरदस्त मुहिम चलाकर उनकी सकुशल वापसी सुनिश्चित कराने वाली मीतू भार्गव, इस मुहिम में सोशल मीडिया से जुड़ने वाला हर एक शख्स , विदेश मंत्रालय, विदेश मंत्री और विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बधाई के पात्र हैं। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि दुनिया भर में किसी भी जगह मुसीबत में फंसे अपने देश के लोगों को सुनिश्चित निकालने के लिए भारत सरकार कितनी शिद्दत से काम कर रही है।
हमारे सैनिकों की देश वापसी पर हर भारतीय को बधाई।
टीम वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन