झांसी 04 अगस्त। झिलमिल सितारों का आंगन होगा रिमझिम बरसता सावन होगा “मोहम्मद रफी का 1970 में गाया यह गीत रात उस दशक के आसमान में तारों की खूबसूरती की बात करता है ।
अजीब बात है कि आज न तो वैसी तारों की चमक है ना आसमान। कारण ? प्रकाश प्रदषण ।
विकास के पथ पर तेजी से दौड़ती मानव सभ्यता ने इसी विकास के कारण प्रकाश को भी प्रदूषण में बदल दिया है। प्रकाश जो अंधकार को काटकर हमारी दुनिया उजागर करता है , वह आज प्रदूषण के रूप में सामनेआ रहा है । यह कृत्रिम रोशनी जो अत्यधिक लाइटों के कारण पैदा होती है इसके कारण आसमान रात में असमान रूप से उजियारा नजर आता है। जिसके कारण ना तो रात के वक्त घना अंधेरा होता है ना ही तारे साफ नजर आते हैं। प्रकाश प्रदूषण आज मानव जाति पर ही नहीं बल्कि पशु पक्षियों और पर्यावरण के लिए भी बड़ा खतरा बन चुका है।
प्रकाश प्रदूषण के प्रकार –
1. ग्लेयर- तेज प्रकाश के कारण दिखने में परेशानी होना
2.लाइट ट्रेसपास- अनावश्यक क्षेत्र में रोशनी का फैलाव
3. स्काई ग्लो – रात के वक्त आसमान में चमक होना
प्रकाश प्रदूषण का कारण –
इस प्रदूषण का कारण रात के वक्त जलने वाली स्ट्रीट लाइट ,फैक्ट्री लाइट, फ्लड लाइट (स्टेडियम जैसे बड़े क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाली लाइट) और अन्य प्रकार की लाइट है ।
प्रदूषण का परिणाम-
रात के समय भी कृत्रिम चमक वातावरण और आसमान में बने रहने से स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे नींद में खलल, आंख में दर्द, गहरी नींद न आ पाना जैसी समस्याएं होती हैं और इसके कारण मानव स्वभाव में चिड़चिड़ापन , एकाग्रता में कमी और विकृत व्यवहार जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। प्रकाश प्रदूषण के कारण ऊर्जा की बर्बादी होती है औरअधिकांश प्रकाश अनावश्यक क्षेत्र में फैलता है,ग्रीनहाउस गैसों का उत्पादन बढ़ता है। इस प्रदूषण के कारण पशुओं और पक्षियों को प्रवास में समस्या आती है और वह रास्ता भटक जाते हैं और यह भटकाव उनकी मौत का कारण बनता है।
प्रकाश प्रदूषण जैसी समस्याएं मानव सभ्यता के कथित विकास के दुष्परिणाम हैं जिसको लेकर वैज्ञानिक भी लगातार न केवल चिंता जता रहे हैं बल्कि इसको प्रभावी रूप से कम किये जाने की आवश्यकता पर भी बल देते हैं।
इस प्रदूषण को कम करने या रोक लगाने के लिए जरूरी है कि लाइटों को इस्तेमाल जरूरी होने पर ही किया जाए। रात के समय जलने वाली लाइटों की दिशा आसमान की ओर ना हो। उन्हें इस तरह से लगाया जाए कि कृत्रिम रोशनी का प्रसार आकाश की ओरन हो। जरूरत ना होने पर लाइट बंद कर दें और लाइट का कम से कम इस्तेमाल करें । साथ ही औद्योगिक संस्थानों और बड़े बड़े नगरों में ऊंची ऊंची इमारतों को बेवजह रात भर रोशन रखने की प्रवृत्ति पर रोक लगायी जाए।
जरूरी हो तो दुनिया भर की सरकारों को इसके लिए नियम कायदे बनाने होंगे ताकि मानव सभ्यता के लिए एक बड़े खतरे के रूप में उभर रहे इस खतरे को रोकने के लिए कड़े नियम बनाये जा सके। यह भी जरूरी है कि ऐसे मुद्दों पर लोगों को जागरूक करने का भी काम किया जाए ताकि हर व्यक्ति अपने अपने स्तर से प्रकाश के प्रदूषण को और बढ़ने से रोकने में अपना अपना योगदान कर सके।
आकृति, वैभव
बुंदेलखंड कनेक्शन