आखिर क्या है माजरा
ललितपुर 28 नवम्बर (वार्ता) उत्तर प्रदेश के ललितपुर में मनरेगा के तहत बिना काम के पैसों का भुगतान किये जाने के मामले में दो ग्राम पंचायत अधिकारी व प्रधान सहित चार लोगों पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है।
मनरेगा कार्य में धांधली करने की शिकायत जिला पंचायत सदस्य वीर सिंह बुन्देला ने जिलाधिकारी आलोक सिंह से की थी, जिसकी जांच मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार पाण्डे को दी गई थी । मुख्य विकास अधिकारी ने इस मामले की जांच खण्ड विकास अधिकारी मडावरा दीपेन्द्र पाण्डे को सौंपी थी । लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता नवनीत सिंह राजपूत एवं लघु सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता शाश्वत राज को भी इस मामले की जांच के निर्देश दिए गए थे।
जांच में मनरेगा योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 21-22 में ग्राम पंचायत रमगढ़ा एवं खुटगुवां में कराए गए कार्यों में धांधली बताई गई थी। इस मामले की जांच बीती 11 जुलाई 2022 को दोनों सहायक अभियंताओं द्वारा की गई व जांच के बाद उनके द्वारा दी गई रिपोर्ट में बताया गया कि जालम पुत्र सुन्दर के खेत पर मेड़बंदी निर्माण का कार्य मौके पर नहीं पाया गया और इस कार्य में कुल व्यय धनराशि एक लाख इकसठ हजार एक सौ साठ रुपए व साइन बोर्ड पर व्यय धनराशि तीन हजार रुपए का भुगतान करना पाया गया ।
सोमेश पुत्र हीरालाल के खेत पर तालाब निर्माण का कार्य कराया जाना बता कर अठासी हजार पांच सौ अड़तीस का भुगतान निकाल लिया गया, जबकि मौके पर कोई कार्य नहीं हुआ था। मामले में दोषी मानते हुये जिलाधिकारी के आदेश पर खण्ड विकास अधिकारी की तहरीर पर थाना गिरार में ग्राम पंचायत अधिकारी कमलेश रिछारिया, ग्राम विकास अधिकारी शैलेन्द्र प्रजापति, ग्राम प्रधान तुलसी व तकनीकी सहायक परशुराम कोरी के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 409, 471 व 120बी के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
वैभव सिंह