झांसी 24 फरवरी । वीरांगना नगरी झांसी में एक कार्यक्रम में शामिल हुए भूवैज्ञानिक डॉ. सतीश त्रिपाठी और डॉ. अनिल साहू ने बताया कि बुंदेलखंड के चित्रकूट में “ यूनेस्को ग्लोबल जियो पार्क ” विकसित करने और उसे मान्यता दिलाने के प्रयास तेज हो गए हैं।
यहां ‘समग्र बुन्देलखण्ड : एक विमर्श’ विषयक संगोष्ठी में हिस्सा लेने आये भूवैज्ञानिकों ने बताया कि आईआईटी कानपुर के सेंटर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम के विशेषज्ञों की टीम इस सम्बंध में एक प्रस्ताव तैयार कर रही है और बहुत जल्द यह प्रस्ताव उत्तर प्रदेश सरकारऔर मध्य प्रदेश सरकार को सौंपा जाएगा।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के पूर्व उप महानिदेशक और आईआईटी कानपुर के सेंटर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम के सलाहकार डॉ. सतीश त्रिपाठी ने बताया कि यूनेस्को का ग्लोबल जियो पार्क प्रोजेक्ट 2015 से चल रहा है। जियो पार्क के रूप में किसी क्षेत्र के विकसित होने से उस क्षेत्र के इतिहास, संस्कृति, पुरातत्व और भूविज्ञान को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलती है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के क्षेत्रों में फैले चित्रकूट और इसके आसपास के विशाल क्षेत्रफल में जियो पार्क को विकसित किये जाने की पर्याप्त सम्भावना है और इस सम्बंध में उनकी टीम एक रिपोर्ट तैयार कर यूपी और एमपी सरकार को सौंपने जा रही है।
भूआकृति विज्ञानी डॉ. अनिल साहू ने बताया कि कामतानाथ परिक्रमा पथ पर बरहा के हनुमान मंदिर के निकट बुंदेलखंड ग्रेनाइट एवं विंध्यन बलुआ पत्थर का मिलन स्थल है। यह मध्य भारत में अकेला स्थान है, इसी कारण वैज्ञानिक रूप से इसकी परिक्रमा की जाती है।स्ट्रोमेटोलाइट्स का उदाहरण लें। जानकी कुंड के पास मंदाकिनी के तल में पाए गए जीवाश्म पृथ्वी पर पहले जीवन रूप हैं। लगभग 1600 मिलियन वर्ष पुराने इन नीले-हरे शैवाल जीवाश्मों ने कार्बन डाइऑक्साइड का उपभोग करके पृथ्वी के पर्यावरण को बदल दिया औरऑक्सीजन का उत्सर्जन किया और इसे रहने योग्य बना दिया।
चित्रकूट में भू-पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में भू-पर्यटन स्थलों का सर्वेक्षण किया गया है। चित्रकूट क्षेत्र में ग्लोबल जियोपार्क विकसित होने की क्षमता है और इसे यूनेस्को की मान्यता मिल सकती है। इससे इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन