झांसी 29 मार्च । झांसी स्थित बुन्देलखंड विश्वविद्यालय में चल रहे पुस्तक मेला में आज झांसी की डॉ. सविता दुबे की कहानी संग्रह ‘जीवन दंड’ का विमोचन हुआ।
इस दौरान आयोजित कार्यक्रम हिन्दी लेखक सम्मेलन में उपस्थित उपन्यासकार महेश कटारे ने अपने उद्बोधन में कहा कि जीवन दण्ड में संकलित कहानियाँ समाज के प्रतिबंब की तरह हैं। समाज में आ रहे बदलाव व सामाजिक समरसता में आयी गिरावट का इन कहानियों में चित्रण डा. सविता ने बखूबी किया है। जीवन की दौड़ में आस-पास घट रही घटनाओं से बेखबर सामाजिक बंधन धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगे हैं। ऐसे दौर में इस संग्रह की कहानियाँ हमें सीख देती हैं कि समाज में एक-दूसरे के दर्द से जुड़कर एक अच्छे समाज का निर्माण किया जा सकता है।
डॉ. मुन्ना तिवारी विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग ने कहा कि डा. सविता दुबे ने आस-पास घट रहीं घटनाओँ और संवेगों के प्रति अपनी सहानभूति को कहानियों और लघु कथाओँ में अभिव्यक्त किया है। प्रत्येक मनुष्य का सामाजिक दायित्व है कि समाज में घट रही घटनाओँ से अपने को किसी न किसी रूप में जोड़े।
डॉ. सविता दुबे पेशे से चिकित्सक रहते हुये अपनी कलम से भी समाज में व्याप्त बुराईयों के उपचार के लिये भी प्रयास करती रही हैं।
कहानी संग्रह ‘जीवन दण्ड’ के विमोचन के दौरान देश के जाने-माने साहित्यकार पदम श्री कैलाश मड़वैया, देवेन्द्र, अनूप सिंह, प्रमोद कुमार अग्रवाल, डॉ. अचला पाण्डे, डॉ. श्वेता पाण्डे, देवेन्द्र भारदवाज आदि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में आनन्द चौबे ने आभार व्यक्त किया।
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन