झांसी 17 दिसंबर। महिला समन्वय समिति झांसी विभाग (कानपुर प्रांत) के तत्वावधान में पैरामेडिकल सभागार झांसी में आज मातृशक्ति सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया और गहन विमर्श किया।
इसमें झांसी विभाग (जिला जालौन,जिला ललितपुर, जिला झांसी महानगर एवं जिला झांसी ग्रामीण)की करीब 03 हजार महिलाओं ने इस सम्मेलन में भाग लिया। संस्कृति, संस्कार व स्वावलंबन की पाठशाला मातृशक्ति सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य अतिथि शिक्षाविद एवं महिला समन्वय समिति की अखिल भारतीय महिला सह समन्वयक समाजसेविका डॉ.ममता यादव व कार्यक्रम अध्यक्ष असिस्टेंट प्रोफेसर छवि उपाध्याय समेत अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया।
मुख्य अतिथि डॉ़ यादव ने कहा कि आज विश्व परिवार की परिभाषा भारत से सीखना चाहता है। ईश्वर को भी उनकी मां के नाम से जाना जाता रहा है। अच्छी मां ही अच्छी संतान, समाज व देश का निर्माण करती है। और ऐसे ही देश को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।
महिलाओं का उत्साहवर्धन करते हुए डॉ़ यादव ने कहा कि नया उत्साह ले मन में कदम आगे बढ़ाओ तुम, गीत जो बालिकाओं द्वारा गया उससे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना है। शोर में लहरों की आवाज सुनाई नहीं देती। भारत की संस्कृति मां पर आधारित है। मां का आशय बताते हुए कहा कि मां का मतलब यह नहीं जो अपने गर्भ में धारण कर जन्म देती है। उसका मतलब मातृत्व से है। उन्होंने कहा कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस अपनी 5 साल की बेटी को भी मां कहते हैं।
यहां शिक्षिकाएं, चिकित्सक, मलिन बस्तियों की महिलाएं, ग्रामीण क्षेत्र से आई बहनें व वे सभी महिलाएं हैं। आजाद हिंद फौज में एक टुकड़ी थी महारानी लक्ष्मीबाई।
उन्होंने अखंड हिन्द फौज की सराहना की। भारत मां में माता व पिता दोनों की छवि। महिला व पुरूष दोनों मिलकर समाज का निर्माण करते हैं। धर्म, अर्थ,काम व मोक्ष पर आधारित है भारतीय संस्कृति। ये परिवार का अभिन्न हिस्सा है। किसी बच्चे का सर्वांगीण विकास भी दोनों के द्वारा ही सम्भव है। जो अपना जीवन समाज के लिए समर्पित करता है
उसका समाज में ज्यादा महत्व व आदर होता है। एक मां के रूप में हमें अपनी जिम्मेदारी भी समझनी होगी।
एक अच्छी मां ही अच्छे समाज का निर्माण कर सकती है और अच्छे समाज से ही अच्छे देश का निर्माण होता है।
भारतीय संस्कृति में मां का स्थान सर्वोच्च है। ऐसे ही हम विश्व गुरु रहे और बनने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा का भी समान अधिकार था, 30 ऋषिकाओं ने वेदों की ऋचाएं लिखी। बाइबिल में लिखा है कि महिला का जन्म पुरुष की पसली से हुआ। पश्चिम में महिलाओं का अपमान हुआ इसलिए वहां महिला ने कहा कि मुझे न पति चाहिए, न भाई, न समाज चाहिए।हमें सिर्फ आजादी चाहिए। पश्चिम की बात को भारत देश में थोपने का षड्यंत्र रचा गया। अब विदेशों में कहा जाता है कि यदि परिवार के बारे में सीखना है तो भारत से बेहतर और कहीं नहीं है। शक्ति प्रदाता,विद्या प्रदाता, धन प्रदाता सब स्त्री के सम्मान के उदाहरण केवल भारत में हैं। संघर्ष ये घनघोर है कुछ हम लडे कुछ तुम लड़ो।
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने महिलाओं से संवाद करते हुए उनके जीवन की उपलब्धियां भी जानी व महिलाओं को उनसे प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में प्रांत सहसंयोजक एवं विभाग संयोजक अंजू गुप्ता,जिला समन्वयक ललितपुर डॉ प्रीती पाठक, जिला समन्वयक ग्रामीण झांसी श्रीमती मोनिका सिंह, झांसी महानगर संयोजिका दीपिका वार्ष्णेय, जालौन संयोजिका डॉ. रचना श्रीवास्तव आदि की मंच पर उपस्थित रही। संचालन पूजा अवस्थी,श्रद्धा मिश्रा,व शिवा राजे बुंदेला ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यक्रम में डॉ.अंजली सक्सेना, मनु भारती शर्मा,विनीता शुक्ला, मोनिका सिंह,शोभा तिवारी, कुसुम काशीवाल, सुधा सोलंकी, सुनीता शर्मा, अविनी राजपूत, अर्चना अवस्थी, रेनू शिवहरे, रेनू पटेल,अखंड हिन्द फौज कमांडर प्रयागराज दीक्षा,मानवी शर्मा, पुष्पा अग्रवाल, प्रीति शर्मा,रुचिका बुंदेला ललितपुर, मधु तिवारी, रुचि गुप्ता, वैशाली जैन,झांसी से नेहा यादव,टिंकल देवलिया,शगुन घोष, पार्वती सक्सेना, नीलम गुप्ता, दीक्षा मिश्रा व मीनू राजावत आदि ने प्रमुख रूप से सहयोग किया।
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन