झांसी 02 जून । हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी और अर्जुन अवार्ड से सम्मानित पूर्व ओलंपियन अशोक ध्यानचंद ने खिलाड़ियों के साथ हुए दुर्व्यवहार पर गहरा दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि इसके कारण खिलाडियों के साथ साथ देश के सम्मान को भी ठेस पहुंच रही है ।
यश भारती पुरस्कार से सम्मानित और हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक ध्यानचंद ने आज “ बुंदेलखंड कनेक्शन ” के साथ खास बातचीत में सरकार से आग्रह किया कि हर काम को पीछे रख वह खिलाडियों के साथ इस गतिरोध को खत्म करने पर काम करे। ओलंपिक पदक जीतने वाले तथा पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार जैसे देश के उच्च सम्मानों से सम्मानित यह खिलाड़ी इतने लंबे समय से सड़क पर बैठे हैं। यह प्रदर्शन देश की छवि को बहुत नुकसान पहुंचा रहा है। यह स्थिति न तो खिलाडियों और न ही देश, किसी के लिए भी ठीक नहीं है। इसको शायद हम नहीं समझ पा रहे हैं। यह बेहद गंभीर बात है और इस पर तुरंत कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
अशोक ध्यानचंद ने कहा “ देश के लिए पदक जीतने वाली बेटियों को यूं सड़कों पर बैठे देखने से मन आहत होता है सरकार को “ बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं ” के नारे को सार्थक करते हुए खिलाडियों से बात कर इस मामले को जल्द सुलझाना चाहिए।सरकार खिलाडियों के दर्द को समझे , इस पूरे घटनाक्रम से देश की छवि को नुकसान पहुंच रहा है।”
उन्होंने खिलाडि़यों से भी इस मामले में संयम बरतने की अपील करते हुए कहा कि बड़ी कड़ी मेहनत और तपस्या से खिलाड़ी देश के लिए मेडल लेकर आते हैं। यह पदक विसर्जन के लिए नहीं होते हैं यह देश का गौरव हैं। मैं आशा करता हूं कि सरकार भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण संह और देश के पदक विजेता पहलवानों के बीच जो टकराव है उसे सरकार जल्द खत्म करेगी।इस मामले को आपस में बैठकर सामंजस्य के साथ बातचीत के माध्यम से जल्द से जल्द सुलझा लिया जाना चाहिए क्योंकि यह देश के सम्मान और छवि को धूमिल कर रहा है।
उन्होंने कहा “ जो उनके साथ हो रहा है ऐसा किसी भी खिलाड़ी के साथ हो सकता है। हम खुद को उनकी जगह रखकर यह बात कह रहे हैं। हम जिन लोगों और सरकारों पर निर्भर करते हैं उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि खिलाड़ी पानी और पत्थर की तरह होता है एक ओर जहां वह पत्थर के जैसा कठोर हाेता है तो दूसरी ओर पानी के जैसे मुलायम भी हाेता है। खिलाड़ियों ने अगर किसी बात को लेकर आपत्ति खड़ी की थी तो इस छोटी सी बात को काफी पहले ही अच्छी तरह से सुलझा लिया जाना चाहिए था। अगर ऐसा हो जाता तो आज स्थिति इतनी खराब न हुई होती जो हुआ वह बेहद दुखी और व्यथित करने वाला था।
हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी और पूर्व ओलंपियन ने कहा “ मैं उनको अपने साथ जोड़कर उनका दुख महसूस कर रहा हूं। मैं सोच रहा था कि बात इतना तूल नहीं पकड़ेगी और सरकार मामले को अच्छी तरह से सुलझा लेगी लेकिन खिलाडियों को बिल्कुल ही अनदेखा कर दिया गया। तीन माह से वह अपनी बात पर अड़े सड़क पर बैठे हैं।
मैंने कहा न कि अगर खिलाड़ी एक ओर बेहद कठोर होता है तो दूसरी ओर बेहद नरम भी होता है। अगर खिलाड़ियों से सहानुभूतिपूर्वक बात ही कर ली जाती तो खिलाड़ी ऐसा नहीं करते। यह जो हो रहा है उससे खिलाड़ियों के साथ देश की छवि भी धूमिल हो रही है।”
उन्होंने सरकार से कहा “ आशा करता हूं कि हमारी सरकार जो ‘ सबका साथ , सबका विकास ’ की नीति पर कार्य कर रही है वह खिलाडियों के दर्द को समझेगी और अपनी समझबूझ और विवेक से इसका निस्तारण करेगी।”
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन