झांसी 11 नवंबर। समाज में भगवान का दर्जा पाने वाले डॉक्टर अगर अपने काम में कौताही दिखायें तो कैसे जीवन रक्षक ,जीवन भक्षक बन सकता है इसका एक उदाहरण आज झांसी में देखने को मिला , जहां एक महिला ने एक सरकारी शल्य चिकित्सक (सर्जन) पर गंभीर लापरवाही करने का आरोप लगाये। चिकित्सक की इस लापरवाही का शिकार महिला आज जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है।
यह पीड़ित महिला हैं खुशीपुरा निवासी मो़ जहीर की पत्नी यासमीन(52)। सरकार की ओर से गरीब जनता को सरकारी अस्पताल में उच्च स्तरीय सुविधाएं देने का दावा कर अपनी पीठ थपथपाने वाले स्वास्थ्य विभाग के गाल पर यह घटना किसी करारे तमाचे से कम नहीं है। यहां जिला चिकित्सालय के सर्जन डॉ़ तनवीर रहमान पर पीड़िता ने बेदह गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि डॉ़ रहमान ने पित्त की थैली में पथरी होने की बात कहकर उनका ऑपरेशन किया लेकिन पित्त की थैली निकाली ही नहीं बल्कि उनकी आंत और काट दी , जिसके कारण उनकी जान पर बन आयी है।
पीड़िता ने बताया कि डॉ़ रहमान ने उनकी पित्त की थैली में पत्थर होने का पता चलने बाद उनका ऑपरेशन किया । डॉ़ रहमान ने जिला चिकित्सालय में उनका ऑपरेशन कर कुछ समय बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी। घर जाने के बाद भी पत्नी का पेटदर्द कम न होने पर मो़ जहीर लगातार अस्पताल के चक्कर लगाते रहे लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। आजिज आकर तीन महीने ने बाद पीडित पक्ष ने महिला को ग्वालियर में दिखाया जहां विभिन्न जांचों में पता चला कि उनकी पित्त की थैली पथरी यूं ही जस की तस बनी है। उन्हें बताया गया कि उनका केस काफी बिगड़ गया है और अब दिल्ली इलाज के लिए जाना होगा। अब महिला और परिजन यह समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर डॉ ने पेट काटकर यूं ही वापस क्यों सिल दिया। पहले की आर्थिक तंगी झेल परिवार के सामने अब यासमीन का जीवन बचाने का गंभीर संकट आ गया है।
कही से कोई राहत न मिलती देख पीडित पक्ष आज जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और उनसे न्याय की गुहार लगायी है। पीड़ित पक्ष डॉ़ तनवीर रहमान के खिलाफ विश्वासघात कर गंभीर चिकित्सीय लापरवाही का आरोप लगाते हुए आईपीसी की अधार 406, 304(ए),337 और 338 के तहत मामला दर्ज कराये जाने और आगे के इलाज में होने वाला खर्च डॉ रहमान से दिलाये जाने की मांग कर रहा है। पीड़ित पक्ष ने राज्य चिकित्सा परिषद और मुख्य मंत्री उ़ प्र शासन लखनऊ को भी शिकायत भेजी है।