झांसी ,20 जनवरी। उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के बरुआसागर की स्थानीय अदरक की प्रजाति के उत्पादन व बिक्री को बढ़ावा देने के मकसद से इसे जीआई टैग दिलाने की कवायद चल रही है। उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर नाबार्ड इसे जियोग्राफिकल इंडिकेशन यानि जीआई टैग दिलाने की कवायद में जुटा है।
झांसी के बरुआसागर क्षेत्र में उत्पादित अदरक अपने स्वाद और महक के लिए विशेष पहचान रखती है। जीआई टैग मिल जाने से बरुआसागर की अदरक की किस्म के उत्पादन को प्रोत्साहन देने में काफी मदद मिलेगा।
नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक भूपेश पाल ने बताया कि बरुआसागर में अदरक के उत्पादन को बढ़ावा देने देने और इसकी बेहतर मार्केटिंग के लिए योजना तैयार हो रही है। इसके साथ ही जीआई टैग के लिए प्रक्रिया चल रही है। झांसी के मुख्य विकास अधिकारी जुनैद अहमद ने बताया कि बरुआसागर के अदरक को जीआई टैग मिल जाने से इसके उत्पादन से जुड़े किसानों को फायदा मिलेगा।
जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग किसी विशिष्ट उत्पादन को पहचान दिलाने में मदद करता है। बरुआसागर में पैदा होने वाली अदरक की प्रजाति को बरुआसागर लोकल नाम से जाना जाता है। उत्तर प्रदेश सरकार बुंदेलखंड में अदरक के उत्पादन को बढ़ावा देने के मकसद से कई तरह की योजनाओं पर काम कर रही है और किसानों को प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है। अदरक उत्पादन से जुड़े किसानों को बीज उत्पादन से लेकर बीमारी के उपचार तक की तकनीकों से अवगत कराया जा रहा है।
बरुआसागर के अदरक की जीआई टैगिंग प्रक्रिया के लिए नाबार्ड ने उत्तर प्रदेश सरकार के कई विभागों और विश्वविद्यालय की मदद से प्रस्ताव तैयार किया है।
वैभव सिंह