झांसी 05 नवंबर । महंगाई , एक ऐसा मुद्दा जिसपर न केवल देश बल्कि दुनिया में बड़े बड़े तख्त पलटने के असंख्य उदाहरण हमारे सामने हैं ताजातरीन और अपने ही आसपास की बात करें तो हमनें हाल ही में श्रीलंका की स्थिति को देखा है। दुनियाभर के देशों में सरकारें इस अतिसंवेदनशील मुद्दे को बेहद सावधानी से साधने के लिए एक अलग तरह की मजबूत व्यवस्था बनाती हैं। अपने देश में भी इस मुद्दे से निपटने की जिम्मेदारी सरकार ने रिजर्व बैंक (आरबीआई) को दी है और यही आरबीआई पिछली तीन तिमाहियों से महंगाई को नियंत्रित कर पाने में असफल रहने के बाद अब सरकार को जवाब देने के लिए इन दिनाें जबरदस्त माथा पच्ची में लगा है।
रिजर्व बैंक को दी गयी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों में से एक बड़ी जिम्मेदारी है “ महंगाई पर नियंत्रण”। आरबीआई के कानून के तहत न केवल उसे यह जिम्मेदारी सौंपी गयी है बल्कि ऐसा करने में नाकामयाब रहने पर उसे सरकार के प्रति जवाबदेह भी बनाया गया है और इसके लिए वह बाध्य भी है। महंगाई को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक नीति बनायी जाती है और इसको बनाने की जिम्मेदारी छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के पास होती है। यह साल में कई बार बैठक कर देश में महंगाई को काबू में रखने के लिए प्रयासों पर चर्चा करती है। इसके लिए बैंकों के माध्यम से आम जनता तक पहुंचने वाले पैसे की घट -बढ़ को नियंत्रित करने के लिए नीति बनाती है।
जब देश में मंदी होती है लोगों के पास खर्च करने को पैसे की कमी होती है तो रिजर्व बैंक अपनी नीतियों के माध्यम से बैंकों को आसान दरों पर अधिक से अधिक कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित करता है ताकि आम जनता के हाथ में पैसा आये , मांग बढ़े और विकास को गति मिले लेकिन इसके उलट यदि लोगों के पास ज्यादा पैसा होता है तो यही रिजर्व बैंक नीतियों के माध्यम से बैंकों की कर्ज देने क्षमता को कम कर देता है और पैसा बाजार से खींच लिया जाता है।
पिछले नौ महीनों मे महंगाई की दर लगातार बढ़ती जा रही है। देश में खाद्यान्न, पेट्रोल डीजल, गैस सिलेंडर , रिटेल के दाम बढ़ रहे हैं। बढ़ती मंहगाई के कारण लोगों की कमाई घट रही है । जनवरी से लेकर सितंबर तक लगातार महंगाई की दर छह प्रतिशत से अधिक बनी रही। लगातार तीन तिमाहियों में महंगाई को नियंत्रित करने में नाकामयाब रहने के बाद आजकल आरबीआई सरकार को इसका जवाब देने की तैयारियों में माथा खपा रही है। अक्टूबर के मध्य तक पिछली तीन तिमाहियों की नाकामयाबी की तस्वीर पूरी तरह से साफ होने के बाद अब रिजर्व बैंक पर सरकार को इसका कारण बताने की जवाबदेही लागू हो गयी है।
इस तरह की विशेष परिस्थिति रिजर्व बैंक को एक माह के भीतर इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होती है इसीलिए मौद्रिक नीति समिति के सदस्य आजकल अपनी रिपोर्ट तैयार करने में लगे हैं जिसमें उन्हें बताना होगा कि किस किस कारण और कहां कहां पर वह महंगाई को काबू करने में नाकामयाब रहे। साथ ही बताना होगा कि कौन कौन से ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें सुधार किया जा सकता है। समिति सरकार को कुछ सुझाव भी देगी ताकि मंहगाई को काबू में किया जा सके।
इसके लिए मौद्रिक नीति समिति ने तीन नवंबर को बैठक की और इस मामले में विचार विमर्श किया । फिलहाल सरकार को सौंपने के लिए एमपीसी रिपोर्ट तैयार कर रही है। इस समिति के अध्यक्ष आरबीआई के गर्वनर शक्तिकांत दास हैं। इनके अलावा पांच अन्य सदस्य हैं। इस समिति का गठन 2016 में किया गया था, जिसमें तीन सदस्य सरकार व तीन सदस्य आरबीआई के होते हैं । पिछले छह वर्षों में इस बार पहली बार लगातार तीन तिमाहियों में नाकामयाबी के बाद एमपीसी की विशेष बैठक बुलायी गयी है।
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