नए रचनाकार को कथा बुनना आना चाहिए: महेश कटारे

नए रचनाकार को कथा बुनना आना चाहिए: महेश कटारे

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झांसी 01 नवंबर । झांसी स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में कथाकार रचना प्रक्रिया पर आज आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए जाने माने कथाकार महेश कटारे ने कहा कि नए रचनाकार को कथा बुनना आना चाहिए

 

 विश्वविद्यालय परिसर में हिंदी विभाग में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ इसमें कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात कथाकार महेश कटारे ने की। मुख्य अतिथि के रूप में जोधपुर विश्वविद्यालय के जनसंचार संस्थान के आचार्य ,अध्यक्ष, कवि कथाकार रिपोर्ताज के लेखक प्रो सत्यनारायण उपस्थित रहे विशिष्ट अतिथि के रूप में कथादेश के संपादक हरिनारायण जी की उपस्थिति रही।

 


कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध कथाकार महेश कटारे ने कहा कि कला के तीन क्षणों में रचना प्रक्रिया के सभी स्तर निहित है । कटारे ने मुक्तिबोध को याद करते हुए कहा कि कला का पहला क्षण है, जीवन का तीव्र उत्कट अनुभव। दूसरा क्षण है इस अनुभव का अपने कसकते-दुखते हुए मूलों से पृथक हो जाना और एक ऐसी फैंटेसी का रूप धारण कर लेना मानो वह फैंटेसी अपनी आंखों के सामने ही खड़ी हो । तीसरा क्षण कला के निर्माण का क्षण है। उन्होंने आगे बताया कि नए रचनाकार को कथा बुनना आना चाहिए ।

 

 मुख्य अतिथि के रुप में प्रो सत्य नारायण ने ने प्रतिभा और अभ्यास को रचना प्रक्रिया का आधार बताया और निरंतर अभ्यास से रचना प्रक्रिया के संतुलन में आसानी होती है इसके लिए अपनी कविताओं के माध्यम से सोदाहरण प्रस्तुति दी कथाकार हरिनारायण ने रचना और रचनाकार के बीच के तादात्म्य में कला की उच्चता की निर्भरता बताई ।

नए रचनाकार को कथा बुनना आना चाहिए: महेश कटारे

      कार्यक्रम का संचालन डॉ अचला पांडे ने की स्वागत अध्यक्ष हिंदी विभाग प्रो़ मुन्ना तिवारी द्वारा किया गया। आभार प्रो पुनीत बिसारिया ने किया । विषय प्रवर्तन नवीन चंद पटेल ने तथा बीज वक्तव्य डॉ श्रीहरि त्रिपाठी ने किया ।

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