झांसी 22 अक्टूबर। लोगों के बीच अपनी परंपराओं को लेकर बढ़ रही जागरूकता और सरकार की ओर से स्थानीय कला को बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के परिणाम से ही आज दीपावली के अवसर पर कुम्हारों के चेहरे पर फिर से मुस्कान लौटना शुरू हो गई है ।
दीपावली पर लोग अब एक और मिट्टी के दीयों को जलाने की ओर आकर्षित हो रहे हैं दूसरी ओर सरकार की मदद से कुम्हारों को निशुल्क दिलाए गए है।इलेक्ट्रिक चौक की मदद से कुम्हार अधिक मात्रा में दिए बना पा रहे हैं और इन दिनों की क्वालिटी भी पहले की तुलना में काफी अच्छी है ऐसे में कुम्हारों को अपने परंपरागत कारोबार को बचाने में तो मदद मिल ही रही है साथ ही उनका यह घाटे का सौदा अब एक बार फिर से फायदे की ओर मुड़ता हुआ नजर आ रहा है। इस परिस्थिति के अगर बुंदेलखंड की बात करें तो झांसी के कोंछाभावर के मिट्टी के बर्तन बेहद प्रसिद्ध है यही रहने वाले गौरी शंकर ने बताया कि दीपावली के मौके पर बहुत से लोगों ने दीयों की मांग की है । इलेक्ट्रिक चौक की मदद से हम 4 गुना अधिक दीये बना पा रहे हैं ऐसे ही एक अन्य को कुम्हार प्रभुदयाल प्रजापति ने बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगने के बाद से और चीनी सामान के बहिष्कार की लोगों की पहल से उनके कारोबार को बहुत बल मिला है सरकार ने भी काफी प्रयास किया है । उत्तर प्रदेश खादी ग्राम उद्योग बोर्ड की ओर से जनपद के 80 कुम्हारों को निशुल्क चौक दिए गए हैं साथ ही आने वाले दिनों में 30 और कुम्हारों को ऐसे ही चाक दिए जाने की तैयारी की जा रही है। निशुल्क उपलब्ध कराए गए इन इलेक्ट्रिक चाकों की मदद से अधिक काम कम ऊर्जा के संभव हो पा रहा है ।
कोछा भंवर के माटी कला सहकारी समिति के अध्यक्ष सुरेश प्रजापति ने बताया कि हमारी आमदनी और ग्राहक दोनों में ही इजाफा हो रहा है हमारे दिए न केवल झांसी और आसपास बल्कि ऑनलाइन भी लोग मंगा रहे हैं।