झांसी 27 मार्च। बुंदेलखंड के झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय के सस्योत्तर प्रौद्योगिकी विभाग ने भोजला गांव में अनुसूचित जाति की महिलाओं को श्री अन्न आधारित एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया ।
इसमें मुख्य अतिथि अधिष्ठाता उद्यानिकी एवं वानिकी डॉ. मनमोहन डोबरियाल रहे। उन्होंने महिलाओं को श्री अन्न की विशेषताओं के बारे में अवगत कराते हुए बताया कि श्री अन्न प्राचीन समय से यह हमारे भोजन का अहम हिस्सा रहा है, जो गेहूं का आटा और मक्का से बेहतर होता है।
श्री अन्न युक्त आहार कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स से जुडा होता है जो कि मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत ही उपयुक्त होता है। श्री अन्न मोटापा और हृदय रोगों के प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साथ ही मोटे अन्न फाइबर, कैल्शियम, आयरन, जिंक जैसे खनिजों से युक्त होते है इसलिए वे स्वास्थ्य वर्धक होते हैं।
इस दौरान डॉ रंजीत पाल, सहायक प्राध्यापक, फल विज्ञान विभाग ने बताया कि श्री अन्नों को फलों के साथ आसानी से उगा सकते है तथा यह समीकरण आय वृद्धि के साथ-साथ पोषण सुरक्षा के लिए बहुत ही जरूरी है।
कार्यक्रम समन्वयक डाॅ. घनश्याम अबरोल ने बताया कि दुनिया भर के खाद्य प्रौद्योगिकी या तो श्री अन्न आधारित नए प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं या पहले से प्रयोग होने वाले प्रसिद्ध प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे कि ब्रेड, बिस्कुट, कुकीज आदि को मिलेट्स के साथ समृद्ध करके उनकी पोषण गुणवत्ता को बढ़ा रहे हैं। श्री अन्न का उपयोग ऐसे खाद्य पदार्थ बनाने में भी किया जाता है जबकि शिशुओं के लिए उत्तम भोजन के रूप में प्रयोग किये जा सकते हैं, उन्होंने महिलाओं को श्री अन्न आधारित बिस्कुट और नमकीन का प्रशिक्षण भी दिया। इस कार्यक्रम के अंत में महिलाओं को सेवइयां बनाने की मशीन भी वितरण की गई।
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन