
हिंदी विभाग की डॉ. अचला पांडेय से खास बातचीत में उन्होंने बताया उनके पिता “अंजान” का उनके जीवन और लेखन पर गहरा पड़ाव रहा। एक गीतकार के रूप में उन्होंने हर पीढ़ी के म्यूजिक डायरेक्टर के साथ काम किया। लेकिन, आज की युवा पीढ़ी में जो उत्साह और सृजनात्मकता दिखती है वह तारीफ के काबिल है।
समीर ने कहा कि उन्होंने देश के कई विश्वविद्यालय का दौरा किया है। लेकिन, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग जैसा समृद्ध विभाग कहीं देखने को नहीं मिला। यहां जो वीथिका बनाई गई है वह अदभुत है। इस अवसर पर समीर की पुस्तक “समीर: लफ्जों के साथ एक सफरनामा” का विमोचन भी किया गया।