झांसी 05 मार्च । बुंदेलखंड की वीरांगना नगरी झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय का 11 वां स्थापना दिवस मंगलवार को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो, नयी दिल्ली के निदेशक डॉ़ जी बी सिंह ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और विश्वविद्यालय के कुलपति ने अन्य अतिथियों के साथ दीप प्रज्जवलित कर प्रथम सत्र का शुभारंभ किया।
कुलपति ने ग्यारहवें स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमारा देश किसानों का देश है। किसान समृद्ध तो देश समृद्ध कृषि विवि की बड़ी जिम्मेदारी किसानों व विद्यार्थियों की है। जो भी विवि का उत्पाद हो या छात्र यहां से शिक्षा प्राप्त करके निकले तो सदैव किसान हित में कार्य करेगा। सरकार किसानों के लिए तमाम योजनाएं चला रही है। किसान उनको आगे बढ़कर प्राप्त करें।
बुंदेलखण्ड क्षेत्र को दलहन एवं मोटे अनाज की खेती के लिए जाना जाता था। खेती का क्षेत्रफल तो बढ़ा है लेकिन संस्करण की कमी है यहां खरीफ में मक्के की संभावना है। उर्द में किसानों को मिलजुलकर काम करना होगा। यहां बहुआयात में मूंगफली की पैदावार होती है। उस मूंगफली द्वारा अन्य उत्पाद तैयार कर युवा किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं। पशुपालन क्षेत्र में भी किसानों को आगे आना पड़ेगा। कृषि विवि में दलहन, तिलहन प्रसंस्करण इकाई लगी है कोई भी किसान यहां आकर वह तकनीक सीख सकता हैं। विवि ने इस वर्ष कई एफपीओ को भी जोड़ लिया है बुंदेलखण्ड में खेती सुधारने का प्रयास कृषि विवि का अवश्य सफल होगा।
निदेशक शिक्षा डॉ अनिल कुमार ने कहा कि आज किसानों का सम्मान होना गौरव की बात है। कृषि विवि किसानों के लिए उत्पादन बढ़ाने, मशरूम, मधुमक्खी, मूल्य संर्बधन, ड्रोन, मोबाईल एप्प, यूट्यूब, समाचार पत्रों आदि के माध्यम से गांव तक पहुंचकर पहचान बनाई है।
निदेशक राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो नई दिल्ली डॉ जीबी सिंह ने कहा कि किसानों को नवीनतम किस्म की जानकारी समय -समय पर मिलती रहना चाहिए। उन्होंने कृषि विवि के वैज्ञानिकों से आवाहन किया कि बुंदेलखण्ड के किसानों को वैज्ञानिक तकनीक उपलब्ध कराई जाये। यहां पर पानी का आभाव होने के कारण किसान वर्षा के पानी पर ही निर्भर रहता है। कृषि वैज्ञानिकों ने एसी किस्में निजात की है, कि वह कम पानी पर भी लग जाती हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के सहयोग से कम पानी वाली किस्में यहां के किसानों को मुहैया कराई जायेंगी।
इस सत्र के अन्त में 29 किसानों को सम्मानित किया गया। इसमें झांसी, ललितपुर, दतिया , टीकमगढ़, शिवपुरी से 631 किसानों ने भाग लिया। इस सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ एसएस सिंह की मौजूदगी रही।
द्वितीय सत्र सांस्कृतिक संध्या के मुख्य अतिथि अन्र्तराष्ट्रीय बौद्ध संस्थान, लखनऊ उपाध्यक्ष हरगोविंद कुशवाहा रहे। श्री कुशवाहा ने कहा कि विद्यार्थी ही देश का भविष्य हैं। विद्यार्थियों से कहा कि आप लोगों को कृषि विवि की ख्याति देश – विदेश में फैलाना है। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों का यहां के किसानों को अच्छा सहयोग मिल रहा है।अन्त में कृषि विवि की उन्नति के लिए दोहा सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डाॅ. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि पूर्व में जिन वैज्ञानिकों, अधिकारियों का सहयोग विवि की उन्नति में रहा है उनको भी में धन्यवाद देता हूं। आज जो विवि में सुबिधाएं हैं वह अन्य संस्थाओं से कम नहीं हैं। विवि को अभी शोध में विशेष काम करने की आवश्यकता है। आज विवि में600 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। आगे 2030 तक विद्यार्थियों की संख्या 3000 होना है। इसके लिए विभिन्न कार्य योजनाएं क्रियान्वित की जायेगी। उन्होंने भारत सरकार एवं आईसीएआर का भी धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर झांसी के पांचवे राजा एवं रानी लक्ष्मीबाई के पति राजा गंगाधर राव के नाम पर गुलाब उद्यान का उद्घाटन कुलपति द्वारा किया गया। इस उद्यान में गुलाब के 65 क़िस्मों के 450 गुलाब के पौधे लगाये गये हैं।
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन