झांसी । झांसी-ललितपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद अनुराग शर्मा ने आज भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं देश के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा तथा गृहमंत्री अमित शाह से सौजन्य भेंट कर बुंदेलखंड की संस्कृति, भाषा और स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की और उनका ध्यान इन जनहित के मुद्दों पर केंद्रित कराया।
सांसद शर्मा ने श्री नड्डा को बुंदेलखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर आधारित पुस्तक भेंट कर क्षेत्र की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने झांसी संसदीय क्षेत्र में टाटा कैंसर इंस्टिट्यूट की स्थापना हेतु आग्रह करते हुए कहा कि बुंदेलखंड जैसे पिछड़े और सीमित संसाधनों वाले क्षेत्र में कैंसर जैसी घातक बीमारी का इलाज अत्यंत कठिन और महंगा है जिससे मरीजों और उनके परिवारों को महानगरों की ओर पलायन करना पड़ता है। यदि झांसी में एक अत्याधुनिक कैंसर उपचार केंद्र की स्थापना होती है तो न केवल झांसी ललितपुर बल्कि सम्पूर्ण बुंदेलखंड के मरीजों को सस्ती और सुलभ चिकित्सा सुविधा मिल सकेगी।
इसके पश्चात श्री शर्मा ने गृहमंत्री अमित शाह से शिष्टाचार भेंट की और उन्हें भी बुंदेलखंड की सांस्कृतिक विरासत पर केंद्रित पुस्तक भेंट तथा बुंदेलखंड की सुप्रसिद्ध लोक कला चितेरी पर आधारित अंग वस्त्र भेंट कर की । इस दौरान उन्होंने गृह मंत्री को बुंदेलखंड के सामाजिक, भाषाई और सांस्कृतिक स्वरूप की जानकारी देते हुए बताया कि आजादी के बाद बुंदेलखंड क्षेत्र को 35 देशीय रियासतों को मिलाकर विंध्य प्रदेश के रूप में संगठित किया गया था, जो लगभग आठ वर्षों तक अस्तित्व में रहा बाद में 1956 में इसे पुनर्गठित करते हुए सात जनपदों को उत्तर प्रदेश और सात जनपदों को मध्य प्रदेश में शामिल कर दिया गया लेकिन आज भी बुंदेलखंड एक सांस्कृतिक और भाषाई रूप से संगठित एवं जीवंत क्षेत्र के रूप में स्थापित है।
श्री शर्मा ने बताया कि बुंदेलखंड में लगभग ढाई करोड़ लोग बुंदेली भाषा का प्रयोग करते हैं । यह भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं बल्कि इस क्षेत्र की लोक संस्कृति, परंपराओं, वीर रस की गाथाओं, लोक गीतों और कथाओं की वाहक है। बुंदेली भाषा की समृद्ध परंपरा और व्यापक जनाधार के बावजूद अब तक इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान नहीं मिल सका है ।उन्होंने गृहमंत्री से आग्रह किया कि बुंदेली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की दिशा में सकारात्मक पहल की जाए ताकि इस समृद्ध भाषा को संवैधानिक मान्यता प्राप्त हो सके और इसके संरक्षण व प्रसार को उचित आधार मिल सके।