विश्व एड्स दिवस पर निकाली गयी जागरूकता रैली
झांसी 01 दिसंबर। वीरांगना नगरी झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में आज विश्व एड्स दिवस पर जागरूकता रैली का आयोजन किया गया।
मेडिकल कॉलेज के विभिन्न विभागों के डॉक्टरों और मेडिकल के छात्रों के साथ नर्सिंग एवं पैरामेडिकल स्टाफ के साथ साथ आईएमए, वूमेंस डॉक्टर्स विंग, एआरटीसेल मेडिकल कॉलेज, ट्यूबरकूलॉसिस विभाग और इंडियन डेंटल एसोसिएशन ने भी इस रैली में हिस्सा लिया । हाथों में एड्स जागरूकता संबंधी नारे लिखे तथा चित्र बने बैनर लेकर चिकित्साजगत से जुड़े लोग आगे बढ़े और लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक किया। यह रैली गेट नंबर एक से लेकर तीन तक निकाली गयी।
इस अवसर पर रैली में हिस्सा लेने वाले आईएमए के अध्यक्ष डॉ़ आर आर सिंह ने बताया कि पूरे बुंदेलखंड और झांसी में एड्स की जांच के बाद जो पॉजिटिव केस आते हैं उनकाे मेडिकल कॉलेज के एंटीरेट्रोवायरल थैरेपी (एआरटी) एआरटी सेल में रजिस्टर्ड किया जाता है। पिछले 13 वर्षों में लगभग साढे तीन हजार केस रजिस्टर्ड किये जा चुके हैं जिनमें से 1300 मरीज संक्रमित होते हुए भी पूरी तरह से स्वस्थ हैं और अपना इलाज यहां से करा रहे हैं। आज रैली का मकसद लोगों को इस बीमारी को लेकर सामान्य जानकारी फैलाना है।
इस अवसर पर मेडिकल कॉलेज प्रधानाचार्य एन एस सेंगर ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर में एड्स के मरीजों का इलाज किया जाता है। एक बार मरीज के दाखिल होने के बाद पूरा इलाज नि:शुल्क किया जाता है। यहां मरीज का इलाज कितने बेहतरीन तरीके से किया जाता है यह बात इसी से पता चलती है कि एआरटी का पहला रजिस्टर्ड मरीज 13 साल बाद भी स्वस्थ जीवन जी रहा है। एआरटी सेंटर में ही रोगियों के एड्स संक्रमित होने के संबंध में जांच की जाती है और मरीज की पहचान को लेकर पूरी गोपनीयता बनायी रखी जाती है। इस सेंटर पर 1034 एचआईवी पीड़ितों का इलाज किया जा रहा है।
डॉ़ अलका शेट्टी ने कहा कि चिकित्सा जगत से जुड़े लोगों के संक्रमित होने की काफी संभावना होती है क्योंकि हर तरीके का मरीज हमारे पास है। हमें सबका इलाज करना होता है लेकिन इस क्रम में जरूरी सावधानियों को लेकर कोई कौताही नहीं बरतनी चाहिए। मरीज को इंजेक्शन लगाते या उसके सीधे संपर्क में आते समय जरूरी सावधानिया अवश्य बरतें। इस बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है लेकिन पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। अगर संक्रमित हो भी गये हैं तो एआरटी मे आकर इलाज पूरी नियमितता से लें और स्वस्थ् जीवन जियें।
इस अवसर पर नोडल अधिकारी और विभागाध्यक्ष मेडिसिन डॉ़ नूतन अग्रवाल ,डॉ़ अलका शेट्टी, डाॅ़ आर आर सिंह अध्यक्ष, डॉ़ नवल खुराना चयनित सचिव, डॉ़ अनुपमा प्रकाश सचिव और डॉ मधुमय शास्त्री विभागाध्यक्ष टीबी एवं चेस्ट विभाग आदि उपस्थित रहे।
गौरतलब है कि एड्स की बीमारी की पहचान 1981 में लॉस एंजेलिस के डॉ़ माइकल गॉटलीब ने पांच मरीजों में की थी। इन मरीजों मेंएक अलग किस्म का निमोनिया पाया गया थ । इन सभी मरीजों में रोग से लड़ने वाला तंत्र अचानक कमजोर पड़ गया था। भारत में एचआईवी का पहला मामला 1986 में सामने आया। पीड़ित की रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करने वाले ह्यूमन इम्यूनोडेफिसिएंसी वायरस (एचआईवी) के जबरदस्त प्रभाव को देखकर पहले इसे बेहद घातक बीमारी के रूप में देखा गया ।हालांकि इसकी दवा तो अभी तक नहीं बन पायी है लेकिन ऐसी दवाइयां आ गयी है जो इस बीमारी के अन्य लोगों में संक्रमण को कम किया जा सकता है। इन दवाइयों के लगातार सेवन से और दूसरी जरूरी सावधानियां रखकर संक्रमित व्यक्ति लंबा स्वस्थ जीवन जी सकता है।
वैभव सिंह
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