नयी दिल्ली 09 नवंबर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सुप्रीम कोर्ट की परंपरानुसार सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ को आज देश के 50 मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलायी।
देश के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश यू. यू. ललित ने 11 अक्टूबर को न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को अपना उत्तराधिकारी बनाने की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी। देश के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश यू. यू. ललित ने 11 अक्टूबर को न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को अपना उत्तराधिकारी बनाने की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी। जिसके बाद राष्ट्रपति ने सामान्य परिस्थितियों में सुप्रीम कोर्ट की परंपरा की अनुसरण करते हुए डी वाई चंद्रचूड को देश के मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ दिलायी।
27 अगस्त 2022 में इस पद पर आसीन हुई जस्टिस ललित 74 दिनों के अपने संक्षिप्त कार्यकाल के बाद आठ नवंबर 2022 को 65 साल की उम्र में सेवानिवृत्त हो गए। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक और एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका के हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम की डिग्री और न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट (एसजेडी) प्राप्त करने के बाद बॉम्बे उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में वकालत की।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को 13 मई 2016 को शीर्ष अदालत का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। इससे पहले 29 मार्च 2000 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (31 अक्टूबर 2013) नियुक्त होने तक मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में ऑनर्स के साथ स्नातक और कैंपस लॉ सेंटर (दिल्ली विश्वविद्यालय) से एलएलबी पढ़ाई पूरी की।उन्हें 13 मई 2016 को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। इससे पहले उन्होंने 31 अक्टूबर 2013 से सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्ति तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया।
डॉ. चंद्रचूड़ को अधिवक्ता से पदोन्नत कर 29 मार्च 2000 को बॉम्बे उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने वर्ष 1998 से 2000 तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी कार्य किया। जून 1998 में उन्हें बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ मुंबई विश्वविद्यालय और ओक्लाहोमा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ, अमेरिका में तुलनात्मक संवैधानिक कानून के विजिटिंग प्रोफेसर भी रह चुके हैं।