उर्वरकों की ओवररेटिंग और कालाबाजारी

उर्वरक की कालाबाजारी पर झांसी प्रशासन कसेगा नकेल

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झांसी 23 अगस्त ।  झांसी जिला प्रशासन ने जनपद में उर्वरकों की ओवररेटिंग और कालाबाजारी को लेकर लगातार मिल रही शिकायतों पर कड़ा रूख अपनाते हुए बुधवार को दंडात्मक कार्रवाई किये जाने के निर्देश दिये।

जिलाधिकारी  रविंद्र कुमार ने आज जनता दर्शन के दौरान कृषि विभाग को निर्देशित करते हुए कहा कि उर्वरक विक्रेताओं की दुकानों पर रेट लिस्ट चस्पा कराया जाना सुनिश्चित किया जाए ताकि उर्वरक की दरों की जानकारी किसानों को सहज मिल सके उसके लिए बड़े शब्दों में दरों को बोर्ड पर लिखाया जाए। यदि उर्वरक विक्रेताओं द्वारा दरों को चस्पा नहीं किया जाता है तो ऐसे प्रतिष्ठानों के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करें।
जिलाधिकारी ने कहा कि किसानों द्वारा जनपद में उर्वरक की कालाबाजारी एवं ओवर रेटिंग तथा अनावश्यक रूप से उर्वरक विक्रेताओं द्वारा परेशान किए जाने की शिकायत बार-बार मिल रही है, इसे किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।  उर्वरक बिक्री केन्द्रो के रेट बोर्ड मे पठनीय दशा में उर्वरकों के अधिकतम विक्रय मूल्य एंव केन्द्रो में उपलब्ध स्टाक का विवरण लिखा होना अनिवार्य है किन्तु जांच के समय पाया गया कि कई उर्वरक बिक्री केन्द्रो के स्टाक बोर्ड पर उर्वरकों के रेट प्रायः चाक द्वारा लिखे होने के कारण उन्हें पढ़ा नहीं जा सकता है जिस कारण कृषक भ्रमित होते है।

उर्वरक (अकार्बनिक, कार्बनिक या मिश्रित) नियंत्रण आदेश 1985 की धारा-4 मे स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि उर्वरक बिकी केन्द्रो के रेट बोर्ड मे पठनीय दशा मे उर्वरकों के अधिकतम विक्रय मूल्य एंव केन्द्रो में उपलब्ध स्टाक का विवरण लिखा होना अनिवार्य है फिर भी निर्देशो का पालन नही किया जा रहा है जो कि उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 का स्पष्ट उलंघन है।

जिलाधिकारी ने जनपद के समस्त खुदरा उर्वरक विक्रेताओं को निर्देशित करते हुए कहा कि उर्वरक बिक्री केन्द्र पर तीन दिन के अन्दर रेट लिस्ट (बोर्ड) पर उर्वरकों की अधिकतम बिकी दरें पेन्ट के द्वारा पठनीय लिखते हुये ऐसे स्थान पर प्रदर्शित करायें कि कृषको को आसानी से उर्वरकों के मूल्य की जानकारी हो सके। यदि इसके पश्चात कहीं पर बिना पेन्ट से लिखी रेट लिस्ट बोर्ड पर पायी जाती है तो संबंधित के विरूद्ध उर्वरक प्राविधानो के उलंघन में कठोर दण्डात्मक कार्रवाई की जायेगी और इसके लिए विक्रेता स्वंय जिम्मेदार होगा।

जिलाधिकारी ने जनपद के उर्वरक आपूर्तिकर्ताओं को निर्देशित किया कि जनपद में किसी भी डीलर द्वारा नकली उर्वरक बिक्री करते हुए पाया जाता है तो उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 का उल्लंघन माना जायेगा। इसके लिए सख्त कार्यवाही करते हुए  तत्काल उनकी डीलरशिप निरस्त करने की कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने ताकीद करते हुए कहा कि नकली उर्वरक अथवा कालाबाजारी में विभागीय अधिकारी/कर्मचारियों की मिली-भगत पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

जिला कृषि अधिकारी  के के सिंह द्वारा अवगत कराया गया कि जनपद में उर्वरक की कोई कमी नहीं है, पर्याप्त उर्वरक शासन द्वारा पूर्व में प्राप्त हो चुकी है। वर्तमान में जनपद में यूरिया एवं फॉस्फेटिक उर्वरकों की उपलब्धता है, जनपद में बुवाई का कार्य प्रगति पर है। जिसके लिए  डीएपी , यूरिया एवं एनपीके की उपलब्धता पर्याप्त है एवं बिक्री एक समान मूल्य पर की जा रही है।

जनपद के कृषकों द्वारा प्रायः डीएपी उर्वरकों को खेतों में प्रयोग हेतु प्राथमिकता देते है, जिसमें केवल फॉस्फोरस एवं नाईट्रोजन पोषक तत्व ही पाये जाते है, जबकि एनपीके कृषकों के लिए एक बेहतरीन फॉस्फोटिक उर्वरक है जिसमें फॉस्फोरस और नाइट्रोजन के अतिरितक्त पोटाश भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। एनपीके का प्रयोग करने से कृषकों को पोटाश की कम मात्रा खेतों में डालनी पड़ती है।

वैभव सिंह

 

बुंदेलखंड कनेक्शन

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