नयी दिल्ली 22 दिसंबर। भारतीय रूपया क्या अब इंटरनेशनल करेंसी बनने जा रहा है क्या अब दुनिया में वस्तु और सेवाओं के खरीदने और बेचने का काम भारतीय रूपये में होगा ?????!
जी हां यह कोई मजाक नहीं बल्कि जल्द ही हकीकत बनने जा रहा है। सरकार ने इस ओर पहल इस साल जुलाई में ही शुरू कर दी है और कई देशों के इसमें रूचि दिखाने और कई के सहमति देने से इसका रास्ता भी साफ हो गया है।
अभी तक वैश्विक बाजार में डॉलर की निविर्वाद सत्ता है दुनियाभर का अधिकतम व्यापार डॉलर में हाेता है लेकिन 2008 में अमेरिकी मंदी के प्रभाव में पूरी दुनिया में अर्थव्यवस्था का डांवाडोल होना, उसके बाद कोरोना काल में दुनिया भर में आपूर्ति का बाधित होना और फिर रूस -यूक्रेन के बीच युद्ध से रूस पर लगे प्रतिबंधों के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में बहुत अधिक उथल पुथल रही। इन्हीं सब वैश्विक उतार चढ़ावों के बीच भारत के नीति निर्माताओं ने भी अपने हितों को साधने के लिए एक मास्टर स्ट्रोक के रूप में व्यापार, रूपये में करने का फैसला किया और आरबीआई के माध्यम से इसकी पहल भी शुरू कर दी है।
अब अन्य देशों के साथ यह संभव कैसे होगा तो इसके लिए भारत ने ऐसे छोटे छोटे मुल्कों को रूपये में व्यापार करने के लिए तैयार किया है जिनके पास व्यापार के लिए डॉलर नहीं है और ऐसे देश जिन पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिये हैं। यह देानों ही प्रकार के देश डॉलर में व्यापार नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि इनके पास डॉलर नहीं हैं, लेकिन इनके यहां विभिन्न वस्तु एवं सेवाओं का उत्पादन तो हो ही रहा है। ऐसे में भारत ने इस अवसर का लाभ लेते हुए इन देशों को रूपये में व्यापार करने के लिए तैयार किया है या कुछ के लिए इसको लेकर प्रयास किये जा रहे हैं।
आरबीआई ने इस ओर शुरू कर दी है पहल, कई देशों ने दिखायी रूचि
व्यापार सौदों का निपटारा रुपये में करने के लिए भारत में अधिकृत डीलर बैंकों को देश के बैंकों में विशेष वोस्त्रो खाता खोलना होगा , रकम इसी में जमा होगी। विदेशी सप्लायर्स को सामान या सर्विस के लिए दिए गए बिलों के एवज में यह राशि जमा की जाएगी। इस व्यवस्था से आयात का भुगतान भारतीय रुपये में मिल सकेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आरबीआई अब तक 18 वोस्त्रो खाते खोल चुका है, इनमें से रूस के लिए 12 , श्रीलंका के लिए 5 और मॉरीशस के लिए एक खाता शामिल हैं। इसका अर्थ है कि इन तीनों देशों में अब भारत का रुपया एक इंटरनेशल करेंसी के रूप में पूरी तरह मान्यता प्राप्त होगा और कोई भी व्यक्ति वहां जाकर रुपये से कोई भी चीज खरीद सकता है। अमेरिकी डॉलर की कमी का सामना कर रहे ताजिकिस्तान, क्यूबा, लक्जेमबर्ग और सूडान ने भी भारत की इस पहले को लेकर अपनी उत्सुकता दिखायी है और बहुत संभव है कि जल्द ही वहां पर भी आरबीआई, वोस्त्रो खाते खोल सकता है।