झांसी । बुंदेलखंड के झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्विद्यालय और विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी परिषद् उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में बौद्धिक सम्पदा अधिकार पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन दिनांक 31 जनवरी और 1 फरवरी 2025 को किया जा रहा है।
कुलपति डॉ अशोक कुमार सिंह ने बताया कि इस राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्देश्य किसानों, छात्रों और शैक्षणिक संकाय सहित विविध हितधारकों के बीच बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के ज्ञान और समझ को बढ़ाना है। इस कार्यशाला के प्रथम दिन विभिन्न संस्थानों के ख्यातिमान विषय विशेषज्ञ प्रतिभागियों को बौद्धिक सम्पदा संरक्षण एवं अधिकार के विभिन्न आयामों के बारे में जानकारी देंगे। इसमें पादप प्रजाति संरक्षण एवं किसान अधिकार, जैव विविधता संरक्षण, पेटेंट, कॉपीराइट, बीज संरक्षण आदि बौद्धिक सम्पदा से संबधित विषयों पर व्याख्यान दिए जाएंगे।
दूसरे दिन किसानों के लिए आयोजित विशेष सत्र में किसानो से सम्बंधित बौद्धिक सम्पदा अधिकारों पर वैज्ञानिकों द्वारा विस्तृत चर्चा की जाएगी। तथा प्रक्षेत्र पर चल रहे शोध कार्यों को किसानों को भ्रमण करा कर जानकारी प्रदान की जाएगी ।
विश्वविद्यालय के निदेशक शोध डॉ. एस.के. चतुर्वेदी ने बताया कि बुंदेलखंड एवं आसपास के किसान भी दलहन, तिलहन, कठिया गेहूं एवं श्रीअन्न फसलों के साथ ककोड़ा, अदरक व सेम जैसी सब्जियों की बहुत पुरानी प्रजातियों को उगा रहे हैं, इनमें से बहुत का पंजीकरण पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के साथ किया जा सकता है। इस कार्यशाला में विशेषज्ञों के साथ चर्चाओं के माध्यम से किसानों एवं छात्रों को कृषि क्षेत्र में आईपीआर की प्रासंगिकता, चुनौतियों और अवसरों के बारे में व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त होगा। विश्वविद्यालय के पादप एवं आनुवंशिकी विभाग के अध्यक्ष/कार्यक्रम संयोजक डॉ जितेंद्र कुमार तिवारी ने यह जानकारी दी।
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन