भारतीय हिन्दी परिषद के 47वे अधिवेशन एवं त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य समापन

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झांसी 01 दिसंबर । बुंदेलखंड के झांसी स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में आयोजित भारतीय हिन्दी परिषद के 47वे अधिवेशन एवं त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज भव्य समापन हो गया।
BU Jhansi
 बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के गांधी सभागार में हुए समापन समारोह के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने परिषद को संगोष्ठी और अधिवेशन के सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि आपकी यह संगोष्ठी हिन्दी के विकास में महत्वपूर्ण निभाएगी। मुझे विश्वास है कि इस संगोष्ठी में जो विचारों का मंथन हुआ है , उससे निकला ज्ञान का अमृत विकसित भारत कि नींव बनेगा। झाँसी हमेशा से सिद्ध भूमि रही है। यह शौर्य , साहित्य और आध्यतम कि धरती है।
उन्होंने कहा कि हिन्दी के विकास के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कई प्रावधान किए गए हैं। हिन्दी समेत सभी मातृभाषाओं का विकास हो, इस पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह आप सबकी ज़िम्मेदारी है कि भाषा पर राजनीति ना होने दें। राजनीति अपने स्वार्थ के लिए कि जाती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जो विसंगतियाँ हैं , उनको दूर करने का कार्य सतत जारी है। उन्होने कहा कि हिन्दी ने भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि झाँसी मण्डल के मंडलायुक्त विमल दुबे ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में सबकुछ व्याप्त है। इसमें कर्म और धर्म है तो त्याग और भोग भी है। भाषा सभ्यता के लिए बेहद दूरी है । हिन्दी पूरे देश को एक माला में पिरोने का काम करती है। कौशल विकास को आगे बढ़ाने के लिए भाषा कि सहजता भी जरूरी है। हिन्दी को इतना सक्षम होना चाहिए कि किसी भी स्थिति में अन्य भाषा की आवश्यकता ना पड़े।

अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलपति प्रोफेसर मुकेश पांडे ने कहा की यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव का विषय है की इस प्रांगण में इतना भव्य आयोजन हुआ। सफल आयोजन के लिए हिन्दी विभाग और प्रोफेसर मुन्ना तिवारी को हार्दिक शुभकामनाएँ।
संगोष्ठी की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए परिषद के प्रधानमंत्री प्रोफेसर योगेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि तीन दिवसीय इस संगोष्ठी में देश भर से आए 214 प्रतिभागियों ने भारतीय हिन्दी परंपरा और हिन्दी विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किया।
 अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए सभापति प्रोफेसर पवन अग्रवाल ने बताया कि इस अधिवेशन के दौरान 22 विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्षों की बैठक भी हुई । सबने हिन्दी के पाठ्यक्रम के विकास पर महत्वपूर्ण सुझाव दिये। इसके साथ ही हिन्दी संसद का आयोजन भी किया गया।
 कार्यक्रम के दौरान पंडित दीपेंद्र अरजरिया और हरगोविंद कुशवाहा को सम्मानित किया गया। ललित कला विभाग के विद्यार्थी आदेश अहिरवार को अधिवेशन का लोगो डिज़ाइन करने के लिए सम्मानित किया गया। संस्कृति पर्व पत्रिका का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर मुन्ना तिवारी ने किया।

इससे पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री द्वारा अधिष्ठाता, कला संकाय भवन का भूमि पूजन भी किया गया। सभी अतिथियों को चिरगांव स्थित राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के घर का भ्रमण भी कराया गया।

वैभव  सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन

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