झांसी 09 सितम्बर । झांसी जिलाधिकारी रविंद्र कुमार एक दिवसीय कार्यशाला में कहा कि बुन्देलखण्ड में तकनीकी की पहुंच किसानों तक सुनिश्चित करना एवं जलवायु के अनुकूल खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।तकनीकी का प्रयोग करके जलवायु अनुकूलन खेती को बढ़ावा देकर यहां के किसानों को अधिक लाभ दिलाया जा सकता है।
बुन्देलखण्ड में जलवायु परिवर्तन के अनुकूल खेती को बढ़ावा देने एवं आजीविका के संवर्द्धन को बढ़ावा देने के सन्दर्भ में सोशल अल्फा एवं परमार्थ संस्था के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन होटल नटराज सरोवर में किया गया। जिसमें देशभर के महत्पूर्ण एग्री स्टार्टअप ने अपनी सहभागिता की। इस दौरान देश भर से आए विषय विशेषज्ञ ने अपने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से खेती में नवाचारों के प्रयोगों के बारे मे जानकारी प्रदान की।

कार्यशाला में झांसी जिलाधिकारी ने कहा कि बुन्देलखण्ड में सबसे उत्तम फसल मोटे अनाज की है ,इसके साथ ही बुन्देलखण्ड में धान, मूँगफली भी प्रचुर मात्रा में उत्पादन होता है। बुन्देलखण्ड की जलवायु अनार, खजूर एवं मौसमी फलों के लिए अधिक उपयुक्त है इसलिए ज्यादा से ज्यादा किसान ऐसे फसलों को बढ़ावा दे, इसके लिए किसानों को प्रशिक्षण के साथ-साथ जागरुक करना होगा। बुन्देलखण्ड में पौधारोपण बहुत अधिक मात्रा में हुआ है। हमने कम पानी वृक्ष चिरौल पर ज्यादा ध्यान दिया है । झाँसी जनपद में हम कठिया गेहूं, तुलसी, हल्दी एवं अदरक के प्रोडक्शन को बढ़ावा दे रहे हैं।
अलग-अलग राज्यों से आए विषय विशेषज्ञों ने जलवायु अनुकूलन खेती,खेती में मशीनीकरण का प्रयोग, कम पानी में अधिक उत्पादन जैसे प्रयोगों को सामने रखा।
सोशल अल्फा के डायरेक्टर ओंकार पांडेय ने कार्यशाला के उद्देश्यों को बताते हुए कहा कि सोशल अल्फा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से लघु एवं सीमांत किसानों की आमदनी बढ़ाने, कृषि की लागत घटाने तथा कृषि कार्यों को आसान करने के लिए कार्य कर रहा है। साथ ही अनाज, फलों एवं सब्जियों की सेल्फ लाइफ बढ़ाने एवं मूल्य संवर्द्धन पर कार्य कर रही हैं। तकनीकी को किसानों तक पहुंचाने के लिए सोशल अल्फा, केंद्र और प्रदेश सरकार, किसान उत्पाद संघों एवं गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर कार्य कर रही है।
कार्यशाला में आठ स्टार्टअप ने अपनी तकनीकि एवं समाधान को प्रस्तुत किया जिसमें ई एफ पालिमर जिसने कृषि में पानी की खपत को कम करने के लिए एक प्राकृतिक जल-अवशोषक विकसित किया , एल सी बी फर्टिलाईज़र , जिसने मिट्टी के पुनर्जनन में मदद करने के लिए प्राकृतिक उर्वरक विकसित किए हैं । नियो इनोवेसन ने छिड़काव के लिए कृषि व्हील आधारित स्प्रेयर उपकरण का विकास किया है जो शारीरिक श्रम को काम करती है एवं महिला किसानों के लिए बहुत उपयोगी है। न्यू लीफ डायनामिक्स, जिन्होंने बायोमास आधारित कोल्ड स्टोरेज और डिहाइड्रेशन समाधान विकसित किया है। क्रिमानसी जिन्होंने उच्च गुणवत्ता वाला पशु-चारा, जीवना ने आलू हार्वेस्टर, जो आलू को हार्वेस्ट और जमा करता है । मीवीप्रो, हर्बल पशु विकर्षक स्प्रे जो किसानों को पशुओं की चराई से होने वाली समस्या से बचत है ।
परमार्थ समाज सेवी संस्था के सचिव डॉ संजय सिंह ने कहा कि बुन्देलखण्ड में यह पहली बार आयोजन हो रहा है जहां कृषि एवं आजीविका के संसाधनों के संवर्द्धन मे मशीनीकरण को बढ़ावा देने का अवसर प्राप्त होगा। यह कार्यशाला बुन्देलखण्ड के किसानों के लिए बहुत लाभकारी साबित होगी। बुन्देलखण्ड में जलवायु परिवर्तन खेती को बढावा देने के उद्देश्य से किसानों को लाभ पहुंचाया जाएगा ।
इस दौरान बुन्देलखण्ड में कार्य कर रहे एफपीओ, संबंधित विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारी, स्वैच्छिक संस्थानों सहित 100 के लगभग लोगों के द्वारा सहभागिता की गई।
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन