झांसी 29 सितंबर । विश्व हृदय दिवस के अवसर पर रविवार को झांसी के जाने माने हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ़ निर्देश जैन ने कहा कि दिल की बीमारियां अब युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहीं है। ऐसेमें इस बीमारी के लक्षणों को पहचानना और खुद ही सतर्क रहने की जरूरत है।
डॉ़ जैन ने बताया कि देश में पिछले कुछ दशकों में गैर संक्रामक बीमारियों का प्रसार बढ़ा है। भारत में कुल होने वाली मौतों में से 28.1 प्रतिशत मौतों का कारण कार्डियो वेस्कूलर डिजीज(हृदय संबंधी रोग) हैं, इन मौतों व इससे संबंधित विकलांगता को रोकने के लिये हर नागरिक को खुद ही सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि बीमारी का पहला लक्षण मरीज को स्वयं ही समझ में आता हैआवश्यकता इस बात है कि मरीज हृदय रोगों से संबंधित शरीर में होने वाले बदलाव को पहचाने, हल्के में न ले और बिना समय गवायें अस्पताल पहुंचे।
विश्व हृदय दिवस 2024 की थीम ‘लोगों को अपने हृदय स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल करने के लिए सशक्त बनाएं’ चुना गया है इसका मुख्य उद्देश्य आम नागरिकों को जागरूक कर उन्हेंअपनी स्वयं की हृदय संबंधी देखभाल करने के लिये जागरूक व प्रेरित करना है।
चेस्ट पेन को हल्के में न लें
डॉ़ जैन ने बताया कि हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है यहां तक कि अब युवाओं में हृदय रोग संबंधी समस्याओं के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।हृदय रोग संबंधी लक्षणों की समय से पहचान बहुत जरूरी है। छाती में दर्द (चेस्ट पेन) हो तो जल्दी से जल्दी किसी स्वास्थ्य केन्द्र पर पहुंच कर ई.सी.जी. करायें ताकि दर्द का सही कारण जाना जा सके। उन्होंने अपने अनुभव सांझा करते हुये बताया कि ज्यादातर मामले इसलिये गंभीर हो जाते है कि लोग साधारण दर्द समझकर घरेलू उपचार में समय गवां देते हैं जिससे बाद में रोग के प्रभाव की गंभीरता बढ़ जाती है अत: सभी को चाहिये कि चेस्ट पेन की स्थिति में गोल्डन आवर (पहले तीन घंटे) को गंभीरता से लें, इस अवधि में उपचार शुरू होने से जान जोखिम भी कम होती है और लंबे समय के लिये उपचार के परिणाम भी बेहतर होते हैं।
शिक्षण संस्थानों और अभिवाभकों की जिम्मेदारी
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की प्रिवेन्टिव एण्ड सोशल मेडिसिन विभाग की सहायक आचार्या डा. सुधा शर्मा बताती हैं कि पहले स्कूलों में पी.टी. (व्यायाम) का एक सत्र हुआ करताथा, जिससे विद्यार्थियों को दिन की शुरूआत में ही दिन भर स्फूर्तिवान रहने की ऊर्जा मिल जाती थी और यह क्रम धीर-धीरे उनकी आदत का हिस्सा बनता था। अब मोबाइल पर समय बिताने की गिरफ्त में आचुके किशोर-किशोरियों की जीवनशैली में फिजिकल एक्टिविटी बहुत कम होने की वजह से अनेक प्रकार के गैर संचारी रोगों के बढ़ने की संभावनाओं को स्थान मिल रहा है। शिक्षण संस्थानों और अभिवाभकों को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिये कि वे अपने बच्चों को एक बेहतर जीवन शैली अपनाने के लिये सकारात्मक वातावरण दें और प्रेरित करें।
क्या है गोल्डन आवर
विशेषज्ञ मानते हैं कि हार्ट अटेक की स्थिति में मरीज के लिये पहले तीन घंटे जिसे ‘गोल्डन आवर’ कहा जाता है बहुत ही महत्वपूर्ण है यदि कोई मरीज इस अवधि में अस्पताल पहुंच जायेऔर उसे समुचित चिकित्सा उपचार मिल जाये तो उसकी जान की जोखिम को बहुत हद तक कम किया जा सकता साथ ही इस अवधि में उपचार प्रारम्भ होने से भविष्य में भी उसके उपचार के बेहतर परिणामों को सुनिश्चित कराया जा सकता है। इसलिये लोगों को चाहिये कि हार्ट अटेक के कोई भी लक्षण दिखाई दें तो बिना समय गवायें तुरंत नजदीकी अस्तपाल पहुंचे।
दिल की बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि धूम्रपान छोड़ें, इससे दिल की बीमारियों का खतरा कम होगा, स्वस्थ एवं संतुलित आहार लें, जिसमें फल, सब्जियां और स्वस्थ वसा शामिल हों,नियमित व्यायाम करें और शारीरिक गतिविधि को जीवन का हिस्सा बनाएं, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखें, वजन ठीक रखें, तनाव को कम करें, इसके लिए योग और ध्यान का
सहारा लें और नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं।
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन