बांदा 06 नवंबर। आज के ज़माने में जब आम लोगों से लेकर सरकारी अधिकारी तक अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में कौताही बरतते हैं वहीं एक ऐसा जिलाधिकारी भी है जो अपने सरकारी दायित्वों को बखूबी निभाने के साथ साथ समाज से जुुड़ी समस्याओं का हल ढ़ूढ़ने के लिए खुद ही निकल पड़ते हैं और हर बार अपने कार्यों से एक अनोखा उदाहरण पेश कर जाते हैं। इसी कारण वह बनें हैं बांदा जिले की जनता के दिलों के राजा। इनका नाम है अनुराग पटेल ।
सामान्य जन के बीच जिले के राजा जैसी पदवी से संबोधित होने वाले जिलाधिकारी जब तालाब की जलकुंभी साफ करने खुद ही मय अपने अमले के तालाब में उतर आयें,नदी को पुनर्जीवित करने के लिए फावड़ा उठा ले, तालाब खुदाई में निकली मिट्टी सिर पर ढो कर निकले तो इसे क्या कहा जाए। यह सभी काम जो किसी जिलाधिकारी के लिए किसी दिवास्वपन जैसे हैं। ऐसे कार्य को बांदा जिले के निवासी अपने जिलाधिकारी को अकसर करते देखते हैं। इसी का नतीजा है कि जिले के 50 तालाब पूरी तरह से जलकुंभी से मुक्त हो चुकी है साथ ही जनपद की दो नदियां गहरार, चंद्रावल और एक मरौली झील जिसे पहले चंदेल तालाब भी कहा जाता था ,आज पुर्नजीवित हो चुकी है।


जिलाधिकारी को खुद ऐसे काम करते देख न केवल पूरा प्रशासनिक अमला बल्कि आम जनता भी साथ उतर आती है और फिर होता है चमत्कार। बांदा के 50 तालाबों में जिलाधिकारी की पहल पर आज जीवन फिर से सांस ले रहा है। नदियों में प्रवाह आ गया है। श्री पटेल की समग्र दृष्टि ऐसी है कि उसके प्रकाश में प्रकृति भी पुनर्जीवित हो रही है। तालाब व नदियां और उनके भीतर पनपने वाला जीवन मानों अपने जिलाधिकारी को धन्यवाद कह रहा हो कि उनके प्रयासों से मृतप्राय: हो चुका उनका प्राकृतिक अस्तित्व फिर से जिंदा हो गया।

श्री पटेल ने न केवल इन प्राकृतिक जलस्रोतों को नया जीवन दिया है बल्कि फिर से उनके जीवन पर कोई संकट न उबरे इसकी व्यवस्था भी की है। इन तालाबों को गांवों और स्थानीय लोगों के साथ साथ अलग अलग अधिकारियाें को गोद भी दिलवाया है। उन्होंने खुद भी डिंगवाही तालाब को गोद लिया है। इस तरह सरकारी मशीनरी और आम लोग मिलकर अपने सामूहिक संसाधनों को ठीक रखने के प्रयास में लगे हैं। उन्होंने तालाबों से निकली जलकुंभी को जमीन खुदवाकर दबवा दिया और कुछ समय बाद जब वह खाद मे तबदील हो गयी तो झील और नदी किनारे किये गये वृहद वृक्षारोपण में इसी खाद का इस्तेमाल किया। इस समग्र सोच के कारण जिलाधिकारी ने मुसीबत को ही संसाधन बनाकर अगले काम में इस्तेमाल करने को तैयार करवा दिया। जल संरक्षण और जल संचय को बढावा देने के बांदा जिलाधिकारी के ऐसे कार्यों को सरकार ने भी काफी सराहा है और उन्हें तमाम पुरस्कारों से सम्मानित किया है।

श्री पटेल ने न केवल प्रक़ति बल्कि समाज में कहीं न कहीं आज भी दाेयम दर्जा रखने वाली बालिकाओं के जन्म को भी परिवार के लिए एक सुवसर में बदलने के काम किया है। उन्होंने “ नवेली बुंदेली” नाम से एक मुहिम जिले में चलायी है जिसके तहत कोई भी बच्ची गांव ,कस्बे, सरकारी या निजी अस्पताल जहां भी पैदा होती है वहां कहीं वह खुद तो कहीं अन्य अधिकारी या कहीं नेता, विधायक या सांसद पहुंचते हैं।


बच्ची का केक काटकर उसका जन्मदिन मनाया जाता है और एक दो साल बाद सरकार की बालिकाओं के हित वाली सभी योजानाओं को लाभ उन्हें दिलाया जाता है। यहां तक कि बच्ची के परिवार का राशनकार्ड, गैस सिलेंडर आदि दिलाया जाता है ताकि परिवार को लगे कि बेटी के रूप में उनके घर में किसी वरदान ने जन्म लिया है और जिसके आने के बाद उनके घर में सभी सुविधाएं आयी हैं। इस तरह से जिलाधिकारी कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुरीति को खत्म करने और महिलाओं के प्रति समाज की सोच को बदलकर उनका उचित स्थान दिलाने का प्रयास कर रहे हैं। अभी तक 12हजार बच्चियों का जन्मदिन जनपद में मनाया जा चुका है और लगातार चल रहा है।

श्री पटेल जिले की 58 ग्राम पंचायतों में से 53 ग्राम पंचायतों की निरक्षर महिला ग्राम प्रधानों को साक्षर बनाने का भी काम कर रहे हैं। इन महिलाओं को “ साक्षर प्रधान, गांव, किसान ” की टैग लाइन के साथ सामाजिक योजना के तहत दिसंबर 2021 से साक्षर बनाया जा रहा है। महिला जिस गांव की प्रधान हैंउसी गांव के सरकारी स्कूलों में बैठकर पढती हैं इनके लिए दिन और रात के लिए अलग अलग टीचरों की व्यवस्था की गयी है। रात में उन्हीं के घरों में पढ़ने वाले नाती पोते या फिर आंगवनवाड़ी महिलाओं को लगाया गया है। एक एक ग्राम प्रधान को एक एक अधिकारी को गोद दिलवाया गया है ।
इस योजना के तहत एक साल से भी कम समय में इन सभी पूर्ण निरक्षर ग्राम प्रधानों को पूर्णसाक्षर बनाया जा चुका है, अब इनको सार्टिफिकेट दिये जाने हैं। इस योजना के तहत 78 और 80 साल की महिलाओं को भी पढाकर साक्षर बनाया गया। श्री पटेल ने बताया कि इनको सर्टिफिकेट देने के बाद खोजे गये निरक्षर 98 क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी) और दो जिला पंचायत सदस्यों को साक्षर बनाने का काम शुरू कर दिया जायेगा।