नयी दिल्ली 14 जुलाई । आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ( इसरो) के चंद्र मिशन “ चंद्रयान -3 ” ने आज दोपहर सफल उड़ान भरी। इस दौरान वैज्ञानिक दिल थामे इसरो के नियंत्रण कक्ष से रॉकेट की लांचिंग पर नजर बनाये रहे।
अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लाँचिंग पैड ने जब जीएसएलवी-मार्क 3 प्रक्षेपण यान चंद्रयान-3 को लेकर ऊपर उठा तो वह 140 करोड़ भारतवासियों की नयी और विश्वास से भरी उम्मीद को भी लेकर आगे बढ़ा। धुएं की गुब्बार के बीच प्रक्षेपण यान ने अंतरिक्ष की ओर कदम बढाये। अभियान के तहत 16 मिनट पर प्रक्षेपण यान ने चंद्रयान को पृथ्वी की दीर्घवृत्ताकार कक्षा में सफलापूर्वक स्थापित कर दिया।इसके बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने मिशन के सफल लॉन्चिंग की घोषणा की।
चंद्रयान-3 भारत का एक फॉलोअप मिशन है जो चंद्रयान 2 की आंशिक सफलता के महज तीन साल बाद ही पूर्ण सफलता के उद्देश्य के साथ तैयार किया गया है। चंद्रयान -2 मिशन में आर्बिटर, लैंडर और रोवर लेकर चंद्रमा पर गया था । आर्बिटर को चांद की कक्षा में सफलता पूर्वक स्थापित कर दिया गया था लेकिन लैंडर की सुरक्षित और सहज लैंडिंग नहीं हो पाने से यह अभियान आंशिक रूप से ही सफल रहा था।इसी के लिए तीन साल बाद अब चंद्रयान -3 मिशन लैंडर और रोवर के साथ भेजा गया है इसमें ऑर्बिटर नहीं हैं। इसके स्थान पर प्रोपल्शन मॉडयूल भेजा गया है।प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर को चंद्रमा की सतह पर छोड़कर, चांद की कक्षा में 100 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगाता रहेगा, यह कम्यूनिकेशन के लिए है।चंद्रयान -3 चंद्रमा की सतह पर सहज लैंडिंग और रोवर को चलाने की क्षमता का प्रदर्शन करेगा।
यदि यह अभियान सफल रहा तो चंद्रमा के पोल पर लैंड करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन जायेगा। अभी तक अमेरिका ,रूस और चीन के अभियान चंद्रमा के इक्वेटोरियल रीजन (भूमध्यरेखीय क्षेत्रों) में किये गये हैं। अभियान की सफलता पर चंद्रमा की सतह पर लैंड करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन जायेगा। यह अभियान देश और दुनिया के लोगों के बीच कौतुहल का विषय बना हुआ है।
चंद्रमा के अपने कक्ष पर हल्का ही झुका होने के कारण इसके ध्रुवों पर सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता है और माना जाता है यहां कई गड्ढे भी है ऐसी मुश्किल परिस्थितियों में यदि भारत का चंद्रयान यहां सफलतापूर्वक पहुंचता है तो यह अंतरिक्ष की दुनिया में एक जबरदस्त उपलब्धि होगी। इसके साथ ही इसरो कम से कम खर्च में दूसरे ग्रहों पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग की अपनी क्षमता का नया इतिहास अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में लिखेगा।
टीम
बुंदेलखंड कनेक्शन