झांसी 03 जनवरी । बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (बुंविवि) के गांधी सभागार में आज बुकवाला संस्था के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में आज के आपाधापी भरे जीवन में लगभग भुला सी दी गयी लेखन कला परंपरा को एकबार फिर से नये रूप में न केवल प्रस्तुत किया गया बल्कि जीवन में कहानियों के महत्व और उनकी सार्थकता को भी रेखांकित किया गया।
बुकवाला संस्था द्वारा आयोजित कहानी उत्सव में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ मुकेश पाण्डेय, सिफ्सा के मंडलीय अधिकारी आनंद चौबे, प़ं राजू शर्मा नोटा संरक्षक बुकवाला और मिथिलेश गुप्ता लेखक संपादक फ्लाई ड्रीम्स जैसे गणमान्यों की उपस्थित रही। बुकवाला के संस्थापक अनमोल दुबे ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो मुकेश पाण्डेय ने कहा कि उम्र के हर पड़ाव पर हर वय को कहानियां लुभाती हैं। कहानियां हमारी कल्पनाशीलता को नया आयाम देती हैं। कहानियां हमें अपनी से जोड़ती हैं। यह मनुष्य की बौद्धिक और तार्किक क्षमता का विस्तार करती हैं।उन्होंने कहा कि इस सृष्टि में जीव के पैदा होते ही कहानी की गूंज सुनाई देने लगती है। हर व्यक्ति अपने परिवार में कहानी से रु ब रु होता है। उन्होंने पंचतंत्र की कहानियों का उल्लेख कर उनकी महत्ता समझाई। प्रो पाण्डेय ने कहानियों की विशिष्टताओं को भी रेखांकित किया।उन्होंने कहा कि हर लेखक की सफलता के पीछे एक महिला का हाथ होता है। उन्होंने प्रख्यात लेखक और आईएएस अधिकारी तरुण भटनागर की सफलता के पीछे उनकी पत्नी को धन्यवाद ज्ञापित किया।
सिफ्सा के मंडलीय अधिकारी आनंद चौबे ने कहा कि कहानी का इतिहास बहुत समृद्ध है। उन्होंने कछुआ और खरगोश की कहानी का उदाहरण देते कहा कि ये जीवन में रूपांतरण का संदेश देती हैं। हर कहानीकार भावी पीढ़ी में रूपांतरण की कामना करता है। कहानियां जीवन की विविध समस्याओं का समाधान देती हैं।
“ बदलते परिवेश में कहानी ” विषय पर आयोजित सत्र में कहानीकार तरुण भटनागर ने एक सवाल पर कहा कि पारिवारिक माहौल में साहित्य के प्रति रुझान के कारण कहानी के प्रति उनका झुकाव पैदा हुआ। एक सवाल पर कहा कि शुरुआत में छोटी छोटी कहानियां लिखीं। पिछले 15 साल से लगातार रचनाकर्म में सक्रिय हैं। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि कहानियां हर जगह बिखरी पड़ी हैं। लेखक उनको शब्दों में संजोता भर है। समय के साथ अच्छी कहानियों की मांग बढ़ी है। अच्छी दुनिया और अच्छे विचारों की पक्षधर कहानियां ही लोकप्रियता हासिल करती हैं। युद्ध,गरीबी,विभाजन की त्रासदी और आदिवासी समाज के दुरुह जीवन के बारे में भी काफी कुछ लिखा गया है। आयुष श्रीवास्तव ने मंच पर उनसे लंबी बातचीत की।
वाचिका परंपरा में कहानी एक नया आयाम के दूसरे सत्र में लेखक मोहित द्विवेदी ने कहा कि डिजिटल पॉडकास्ट के आने से अब कहानियां सरल तरीके से पहुंच रही है क्योंकि समय के अभाव के चलते कई लोग पढ़ने के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं लेकिन कहानियां सुनना आसान एयर सरल होता है साथ बताया कहानियां हमे बहुत कुछ सिखाती हैं अंत में उन्होंने एक ऐसी कहानी सुनाई जिसका शीर्षक था लंका लग गई और वो कहानी इतनी पसंद आई सभी को की तालियों की गड़गड़ाहट पूरी कहानी के दौरान रुकी नहीं
पोड कास्ट कहानी के बाद बैक टू टैलेंट की टीम ने वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई जी की महागाथा पर प्ले प्रस्तुत किया , उस पल सभी के रोंगटे खड़े हो गए उस प्ले को देखने को बाद इस कार्यक्रम में ही प्रख्यात लेखक और आईएएस अधिकारी तरुण भटनागर की एक पुस्तक का विमोचन कुलपति प्रो मुकेश पाण्डेय ने किया। टीम बुकवाला ने कुलपति प्रो पाण्डेय को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
इस कार्यक्रम में कला संकाय अधिष्ठाता प्रो मुन्ना तिवारी, प्रो पुनीत बिसारिया, डा श्रीहरि त्रिपाठी, डा जय सिंह, डा कौशल त्रिपाठी, डा मुहम्मद नईम,उमेश शुक्ल, डा नवीन चंद्र पटेल. चंद्र प्रताप सिंह, धर्मेन्द्र कुमार कुशवाहा, निशा, राजेश, आदित्य, प्रिया, शिवम, रूपेंद्र, ज्योति, जुनैद, अंशु, पंजाब, तरुण समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।
मंच संचालन ज्योति वर्मा, देव तोमर ने किया कार्यक्रम का आभार बुक वाला के संस्थापक अनमोल दुबे ने व्यक्त किया।
वैभव सिंह