झांसी 14 नवंबर। बुंदेलखंड के झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग द्वारा किसानों को आय के अतिरिक्त साधन के रूप में मधुमक्खी पालन के तरीके सिखाने को तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया ,जिसका आज समापन हुआ।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वित्त पोषित राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत यह प्रशिक्षण विवि के मधुमक्खी पालन प्रयोगशाला इनक्यूबेटर केन्द्र में आयोजित किया गया था। इसमें डॉ. विजयकुमार मिश्रा ने आदर्श मधुमक्खी पालन वाटिका की स्थापना, मधुमक्खी परिवारों का मौसमी प्रबंधन पर किसानों को जानकारी दी।
डॉ. सुंदर पाल ने मधुमक्खी की विभिन्न प्रजातियां एवं उनके आर्थिक महत्त्व, रानी मधुमक्खी की उत्पादन विधि,. मधुमक्खी परिवार का मिलाव बटबारा एवं आधार छत्ता बनाने की विधि को बताया। डॉ. ऊषा ने मधुमक्खी पालन के सदस्य गण एवं श्रम विभाजन की जानकारी एवं मधुमक्खी परिवार में. संवाद प्रणाली, मधमखियों के कीट और उनका प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी दी। डॉ. योगेन्द्र मिश्रा ने फसलोत्पादन में मधुमक्खी परागण का योगदान, पालन के आवश्यक उपकरण एवं उपयोग के बारे में समझाया। डॉ. वैभव सिंह ने रोग और उनका प्रबंधन पर अपने सुझाव दिए। डॉ. डीवी अहूजा ने मधुमखियों को जीवनाशी रसायनों से सुरक्षा के उपाय बताए।
श्रवण कुमार ने मधुमक्खी परिवारों का निरीक्षण, कृत्रिम भोजन बनाने की विधि एवं भोजन देने का तरीका बताया। मधुमक्खी पालन सलाहकार डॉ. हरी चन्द ने किसानों को मधुमक्खी गृह के बहुमूल्य उत्पादों का उत्पादन एवं मधुं व मोम, का उत्पादन, शोधन, भण्डारण, बिक्री एवं आर्थिक विश्लेषण पर परिचर्चा की।
अन्त में किसानों को अधिष्ठाता कृषि डॉ आरके सिंह ने प्रमाण – पत्र देकर सम्मानित करते हुए कहा कि जो भी आपने इस प्रशिक्षण में सीखा वह अपने ग्राम में प्रयोग अवश्य करें और जो भी परेशानी आए विश्वविद्यालय के किट वैज्ञानिकों से संपर्क कर निदान ले सकते हैं।
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन