झांसी। भारतीय सेना और नागरिक प्रशासन के बीच सहयोग व तालमेल को सुदृढ़ बनाने की दिशा में आज बुंदेलखंड के झांसी में व्हाइट टाइगर डिवीजन के तत्वावधान में एक भव्य सैन्य-नागरिक समन्वय सम्मेलन आयोजित किया गया।
सम्मेलन की सह-अध्यक्षता व्हाइट टाइगर डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल अतुल कुमार भाट और झांसी-ललितपुर संसदीय क्षेत्र के सांसद अनुराग शर्मा ने की।
सम्मेलन का प्रारंभ मेजर जनरल अतुल कुमार भाट के संबोधन से हुआ। उन्होंने भारतीय सेना की “होल ऑफ़-नेशन एप्रोच” पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान समय में सेना का दृष्टिकोण केवल सीमाओं की सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्र निर्माण, आपदा प्रबंधन, बुनियादी ढाँचे के सुदृढ़ीकरण और सामुदायिक कल्याण तक फैला हुआ है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि भारतीय सेना हमेशा नागरिक प्रशासन को हर स्तर पर सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है। आपसी विश्वास, नियमित संवाद और साझा प्रयास ही भविष्य की चुनौतियों से निपटने की कुंजी हैं।
इसके बाद सांसद ने संसदीय क्षेत्र के विकास से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए। सबसे पहले उन्होंने कहा कि झांसी और आसपास के क्षेत्रों में सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएँ अक्सर सेना और नागरिक क्षेत्र की सीमा पर आकर अटक जाती हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सेना और जिला प्रशासन आपसी समन्वय से भूमि के आदान-प्रदान की नीति अपनाएँ। कई स्थानों पर सेना की भूमि टुकड़ों में बिखरी हुई है, जिससे विकास कार्यों में अड़चन आती है। यदि इन टुकड़ों को चिन्हित कर आपस में समेकित रूप से बदला जाए, तो सड़क, आवास और अन्य विकास योजनाओं को गति मिल सकेगी।
उन्होंने विशेष रूप से यह भी रेखांकित किया कि कई बड़ी परियोजनाएँ सेना से अनापत्ति प्रमाण पत्र न मिलने के कारण वर्षों तक लंबित रहती हैं। इसका खामियाजा आम नागरिकों को उठाना पड़ता है। सांसद ने सेना से आग्रह किया कि विकास से जुड़ी ऐसी परियोजनाओं में की प्रक्रिया को अधिक सहज और त्वरित बनाया जाए, ताकि जनहित प्रभावित न हो।
सम्मेलन के दौरान सांसद ने यातायात और आधारभूत संरचना से जुड़े कई ठोस सुझाव भी दिए। उन्होंने झांसी कैंट से होकर गुजरने वाले ललितपुर राजमार्ग पर ट्रैफिक लाइट और स्पीड ब्रेकर लगाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि दुर्घटनाओं की संख्या कम की जा सके और नागरिकों को सुरक्षित आवागमन मिल सके। झाँसी-बबीना मार्ग पर फ्लावर डिवाइडर की योजना को भी उन्होंने आवश्यक बताया। इसके अतिरिक्त दो 11 के.वी. विद्युत लाइनों का स्थानांतरण और बबीना कैंट क्षेत्र में मवेशियों से उत्पन्न खतरे को दूर करने की बात भी उठाई गई।
सांसद ने यह भी प्रस्ताव रखा कि सैन्य, नागरिक और पुलिस अधिकारियों की संयुक्त जांच और निरीक्षण प्रणाली विकसित की जानी चाहिए। इससे किसी भी समस्या का त्वरित समाधान संभव होगा और विभिन्न एजेंसियों के बीच पारदर्शिता एवं भरोसा और गहरा होगा।
इसके साथ ही सांसद ने कैंट बोर्ड के अंतर्गत आने वाली सड़कों की खराब स्थिति पर चिंता व्यक्त की और उनके सुधार की माँग की। उन्होंने यह भी कहा कि सैन्य सीमाओं से लगे गाँवों की सड़कें और आवागमन की व्यवस्था अत्यंत दयनीय हैं, जिनका सुधार तत्काल होना चाहिए।
सम्मेलन के दौरान आवारा पशुओं की समस्या पर भी गंभीर चर्चा हुई। सांसद ने सुझाव दिया कि सैन्य क्षेत्र में भटकने वाले मवेशियों को नियमित अभियान चलाकर गौशालाओं में पहुँचाया जाए। इससे सेना की सुरक्षा और नागरिकों की सुविधा दोनों सुनिश्चित होंगी।
सम्मेलन का वातावरण बेहद सकारात्मक और रचनात्मक रहा। सभी सैन्य और नागरिक अधिकारियों ने अपने-अपने सुझाव रखे और सामूहिक रूप से यह निर्णय लिया गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सामुदायिक विकास के व्यापक हित में सेना और प्रशासन के बीच साझेदारी को नई दिशा दी जाएगी।
कार्यक्रम का समापन इस साझा संकल्प के साथ हुआ कि सेना और नागरिक प्रशासन मिलकर न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों का सामना करेंगे बल्कि विकास, जनकल्याण और आधारभूत संरचना के विस्तार में भी कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करेंगे। यह सम्मेलन भविष्य में सैन्य और नागरिक एजेंसियों के बीच और अधिक समन्वय एवं विश्वास की मजबूत नींव साबित होगा।
सम्मेलन में मंडल के कमिश्नर, पुलिस उपमहानिरीक्षक, जिलाधिकारी , पुलिस अधीक्षक नगर, नगर आयुक्त , उपाध्यक्ष झाँसी विकास प्राधिकरण, रेलवे, विकास प्राधिकरण, छावनी परिषद तथा बिजली विभाग के साथ वरिष्ठ सैनिक अधिकारी मौजूद रहे।