झांसी 01 अगस्त । समाज में सभी धर्मों के अनुयायी अपने समुदाय के किसी व्यक्ति के निधन पर शोक यात्राएं निकालते हैं लेकिन झांसी जनपद के समथर में एक समाज ऐसा भी है जो मृत्यु को किसी शोक नहीं बल्कि उत्सव के में देखता है और किसी व्यक्ति के निधन पर शोक यात्रा में गाजे बाजे की धुन पर बाकायदा मौजूद महिलाएं नाचती हैं।
जी हां हो रहा है न अचरज …… लेकिन यह बात बिल्कुल सही है। झांसी जनपद के समथर में रहने वाले लोहार जाति के लोग खुद को महाराणा प्रताप के वंशज बताते है। यह लड़ाका समुदाय रहा है और इनका दावा है कि इनके समाज में मृत्यु का वरण शोक के रूप् में नहीं बल्कि उत्साह से किया जाता है। इस समाज की महिलाएं जौहर के लिए जाने से पहले पूरी तरह से साज श्रृंगार करतीं थीं और नाचते गाते हुए अग्निस्नानकर लेतीं थीं। आज इनके समाज में भी सती प्रथा या जौहर जैसी प्रथाएं तो नहीं हैं लेकिन समाज के किसी व्यक्ति की मृत्यु पर सांकेतिक रूप से शोक यात्रा में नाचते गाते हैं।
इतना ही नहीं शव यात्रा में नाच रही महिलाओं पर पुरूष पैसे भी न्यौछावर करते हैं। कुल मिलाकर शव यात्रा का माहौल कुछ ऐसा रहता है जैसे मृतक ने मृत्यु का वरण बड़े साहस के रूप में किया हो ।
लोगों का मानना है कि समुदाय ऐसे रिवाजों के माध्यम से अपनी प्राचीन प्रथाओं को आज भी जीवित रखने का प्रयास कर रहा है।
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन