झांसी। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय लखनऊ के अपर निदेशक डा. अनिल कुमार मिश्रा ने झांसी में अध्ययन केंद्र विपिन बिहारी महाविद्यालय में इग्नू द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न पाठ्यक्रमों पर चर्चा की और बताया कि अग्निवीरों को कौशल आधारित स्नातक पाठ्यक्रम पूर्ण कराने का दायित्व सरकार ने इग्नू के कंधों पर सौंपा है।
डॉ़ मिश्रा ने यहां पत्रकारों को बताया कि इग्नू क्षेत्रीय लखनऊ ने पिछले लगभग 36 वर्षों में अभूतपूर्व प्रगति की है। वर्तमान में मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के माध्यम से 300 से अधिक पाठ्यक्रम स्नातक व परास्नातक डिप्लोमा प्रमाण पत्र के अनेक पाठ्यक्रम में प्रवेश संचालित किए जा रहे हैं। इग्नू की प्रवेश नीति जब चाहो तब प्रवेश पाओ के अंतर्गत छात्रों को जनवरी एवं जुलाई सत्र के अंतर्गत प्रवेश की सुविधा है। साथ ही पाठ्यक्रमों के लिए छात्र-छात्राओं के लिए कोई भी आयु सीमा निर्धारित नहीं की गई है। छात्र-छात्राएं अपनी सुविधा, समय,व स्थान के अनुसार अध्ययन कर सकते हैं।उन्होंने यह भी बताया कि अब नई शिक्षा नीति के तहत छात्र एक साथ दो डिग्री पूर्ण कर सकते हैं।
इग्नू का प्रयास है कि हर गांव से कम से कम पांच पुरुष अथवा महिलाएं उच्चतर शिक्षा से जुड़े। इसके लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 10 अगस्त है। हाल ही में इग्नू ने भारतीय वायु सेवा में कार्यरत अग्निवीरों के लिए कौशल आधारित स्नातक पाठ्यक्रमों (बीए,बीकॉम एवं बीएससी) शुरू किया है। इसकी जिम्मेदारी इग्नू को दी गई है।
इसी के अंतर्गत इस जुलाई सत्र में इग्नू से स्नातक में प्रवेश लेने वाले अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को निशुल्क प्रवेश दिया जा रहा है। इग्नू में योग, जलवायु परिवर्तन, पर्यटन, फारसी भाषा, जापानी भाषा,जर्मन भाषा, स्पेनिश भाषा एवं संस्कृति, फैशन डिजाइन, पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान, डॉ बी आर अंबेडकर, महात्मा गांधी के जीवन एवं विचार में प्रमाण पत्र, वास्तु एवं सेवा कर आदि में जागरूकता कार्यक्रम जैसे कार्यक्रम उपलब्ध हैं। अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रोफेसर योगेश पांडे ने बताया कि इग्नू से नई शिक्षा नीति के अंतर्गत विद्यार्थी दो डिग्री कोर्स एक साथ कर सकते हैं।
इस अवसर पर उपसमन्वयक प्रोफेसर अनिल कुमार,प्रोफेसर डीडी गुप्ता, प्रोफेसर किशोर कुमार श्रीवास्तव, प्रोफेसर मुकेश श्रीवास्तव, प्रोफेसर के एम अग्रवाल, दीपक तिवारी,मनीष, नेमीचंद जैन आदि उपस्थित रहे।
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन