मुंशी प्रेमचंद पर गोष्ठी

प्रेमचंद के निधन के 85 साल बाद भी उनकी कहानियां हैं प्रासंगिक:विवेक मिश्रा

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झांसी 01 अगस्त ।  प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) इकाई झांसी ने  ‘‘मुंशी प्रेमचंद का कथा साहित्य और आज का समाज’’ विषयक
गोष्ठी का आयोजन किया जिसमें इस कथा सम्राट के कथा साहित्य पर चर्चा की गयी।

मुंशी प्रेमचंद पर गोष्ठी

यहां होटल वरदान के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में  कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के कथा साहित्य पर चर्चा की गई तथा उनकी कहानियों का पाठ किया गया। इस अवसर पर रंगकर्मी आरिफ़ शहडौली ने मुंशी प्रेमचंद की कहानी ईदगाह, डॉ विनोद शुक्ला ने कहानी मंत्र, विनोद साहू ने पूस की रात, मुहम्मद नईम ने गोदान के अंश का पाठ किया।

गोष्ठी को मुख्य अतिथि के रुप में सम्बोधित करते हुए वरिष्ठ कथाकार विवेक मिश्रा ने कहा कि कथा सम्राट के निधन के 85 वर्षों बाद भी मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं।

उनकी कहानियों के पात्र होरी, धनिया, घीसू, माधव आज भी हमारे आसपास निरीह और असहाय अवस्था में घूम रहे हैं, हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं। वंचित वर्गों का सशक्तीकरण करना होगी प्रेमचंद जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

साहित्यकार जैसपर पौल ने कहा कि मानवीय संवेदनायें हमारे रिश्तों और हमारे समाज से गायब हो रही हैं। आवश्यक है कि श्रम आधारित संस्कृति के पक्ष में साहित्य को जनोन्मुखी बनाने की कोशिश की गई। गांवों में व्याप्त समस्याओं के समाधान के लिए हम गांवों तक जाऐं और उनके कल्याण के लिए कार्य करें।

गोष्ठी को वरिष्ठ साहित्यकार पी एन दुबे, साकेत सुमन चतुर्वेदी, अब्दुल जब्बार शारिब, शेख़ अरशद, बलराम सोनी, हर्ष साहू आदि ने भी सम्बोधित किया ।

गोष्ठी का संचालन महासचिव डॉ मुहम्मद नईम ने, स्वागत विनोद साहू झाँसवी ने एवं आभार सी पी भार्गव द्वारा व्यक्त किया गया।

वैभव सिंह

बुंदेलखंड कनेक्शन

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