झांसी 15 मई।उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के तहत झांसी नगर निगम में आये नतीजे कुछ इस तरह के रहे कि प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल कहलाने वाली समाजवादी पार्टी का झांसी जिले में पूरा जनाधार ही दरकता नजर आया।
यूं तो शहरी इलाकों में वैसे भी सपा की पकड बहुत मजबूत नहीं मानी जाती है लेकिन स्थिति इतनी भी खराब नहीं होती है। झांसी जिले में इस बार महापौर पद के उम्मीदवार सतीश जतारिया को इतने वोट भी नहीं मिल पाये कि जिसे एक सम्मानजनक हार कहा जा सके, हाल इतनी खराब हुए कि उनकी जमानत तक जब्त हो गयी। अगर निगम के 60 वार्डों की बात करें तो एक भी पार्षद उम्मीदवार को सफलता नहीं मिली।
इतनी फजीहत काफी नहीं थी कि पांच नगर पालिकाओं बरूआसागर, मऊरानीपुर, चिरगांव,समथर और गुरसरांय किसी में एक पर भी साइकिल नहीं चली साथ ही नगर पंचायतों में भी यही हाल रहा । इस नतीजों ने साफ कर दिया कि झांसी नगर पालिका से समाजवादी पार्टी का सूपड़ा ही साफ हो गया है। हालात कांग्रेस के लिए भी कुछ खास मुफीद नहीं रहे लेकिन कम से कम कांग्रेस पद के महापौर उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में कामयाब रहे और मात्र एक नगर पंचायत बड़ागांव में अध्यक्ष के रूप में कांग्रेसी उम्मीदवार पुक्खन देवी को सफलता हासिल हुई।इसके अलावा दो वार्ड मेंबरों को भी जीत हासिल करने में सफलता मिली लेकिन कभी देश में एकछत्र राज्य करने वाली कांग्रेस पार्टी की ऐसी हालत अपने आप में शोचनीय है।
बसपा ने नगर निकाय चुनाव को बेहद ढुलमुल तरीके से लड़ा और उसके महापौर उम्मीदवार की भी जमानत जब्त हो गयी लेकिन कुछ हद तक अब भी अपने पारंपरिक वोटों में थोड़ी बहुत पकड़ रखने में कामयाब रही बसपा को 06 वार्डों में सफलता मिली। इन बड़ी पार्टियों के निकाय चुनाव में बेहद निराशाजनक प्रदर्शन से इतर निर्दलीय उम्मीदवारों ने ज्यादा मजबूती से चुनाव लड़ा। नगर निगम वार्ड चुनावों में आठ वार्डों में सफलता हासिल की साथ ही नगर पंचायत मोंठ, कटेरा ,रानीपुर, गरौठा और एक एरच में निर्दलीय उम्मीदवारों ने अध्यक्ष पद पर कब्जा किया । प्रदेश में अपनी जड़ें ज़माने की कोशिश में लगी आम आदमी पार्टी की झाड़ू भी केवल एक ही वार्ड में चल पायी।
यह बात तो हुई पार्टियों की लेकिन अगर लोकतंत्र की बात करें तो यह स्थिति किसी भी तरह से ठीक नहीं कही जा सकती। एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अनिवार्य है एक मजबूत विपक्ष। लेकिन अगर शहर की सरकार के चुनाव में ही विपक्षी दलों का ऐसा प्रदर्शन है तो यह बेहद स्थानीय स्तर से लोकतंत्र की नींव ही कमजोर होने का परिचायक है। ऐसे में जरूरी है कि यह विपक्षी दल आत्मचिंतन करें और उन कारणों को खंगाल कर उन पर काम करें जिनकी वजह से स्थानीय स्तर पर इनका आधार ही डगमगा गया। संपूर्ण विपक्ष की जिम्मेदारी है कि अपने अपने दलों को स्थानीय स्तर पर मजबूती से खड़ा करें । लोकतंत्र के खतरे में होने की दुहाई देते हुए रूदन करने की बजाए खुद को मजबूती देकर लोकतंत्र को मजबूत करने का काम वास्तविक धरातल पर करें।
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन