उन्होंने बताया कि महिलाओं के लिए सभी अधिकारों के साथ ही स्वास्थ्य देखभाल में भी समान अधिकार मिलना बहुत आवश्यक है क्योंकि एक स्वस्थ महिला ही एक स्वस्थ पीढ़ी को जन्म दे सकती है। इसके साथ ही स्वास्थ्य अधिकार व्यक्ति के मूल अधिकारों में भी शामिल है। इसी कारण सरकार के निर्देशन में स्वास्थ्य विभाग विभिन्न योजनाएं चला रहा है।
- राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम राष्ट्रिय स्वास्थ्य मिशन द्वारा संचालित किया जाता है, इसके अंतर्गत 10 से 19 वर्ष के किशोर एवं किशोरी स्वस्थ्य पर सेवाएँ दी जाती हैं, जिसमें किशोरिओ को आइरन फोलिक एसिड की गोलियां स्कूल एवं आंगनवाड़ी के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके साथ ही किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक के माध्यम से किशोरी की स्वस्थ्य संबंधी समस्याओं का निराकरण काउन्सलर के माध्यम से किया जाता है। वर्तमान में जनपद में सथिया केंद्र के नाम से दो किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक संचालित हैं, किशोरी के लिए जिला महिला अस्पताल एवं किशोर के लिए जिला पुरुष अस्पताल।
- जननी सुरक्षा योजना- इसके अंतर्गत अस्पताल में प्रसव कराने पर प्रोत्साहन राशि दी जाती है| इसके अंतर्गत ग्रामीण महिला को 1400 और शहरी महिला को 1000 रूपए देने का प्रावधान है| जिसके द्वारा पिछले एक साल में 20316 महिलाओं को प्रोत्साहन राशि प्राप्त हुई हैI
- जननी शिशु सुरक्षा योजना- गर्भवती को भोजन, दवाइयां, सभी प्रकार की चिकित्सकीय जांचे व परिवहन की सुविधा आदि दी जाती है| 102 एंबुलेंस सिर्फ़ गर्भवती महिलाओं के लिए प्रयोग में लायी जाती है। इसके तहत पिछले एक वर्ष में कुल 15840 गर्भवतियों को योजना के तहत भोजन, दवाई एवं सभी प्रकार की चिकित्सीय जांचो की सुविधा प्रदान की गई हैं।
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस- गर्भवती की कम से कम चार बार जांच सुनिश्चित करने के लिए एवं उच्च जोख़िम वाली गर्भवतियों (एचआरपी) के चिन्हीकरण व सही समय पर प्रबंधन के लिए हर माह की 9 तारीख को यह दिवस मनाया जाता है, जिसमें एक विशेषज्ञ डॉक्टर की देखरेख में गर्भवती की सम्पूर्ण जांच की जाती हैं| प्रसव पूर्व जांच- हीमोग्लोबिन, शुगर (ओजीटीटी) यूरीन, ब्लड ग्रुप, एचआईवी, सिफलिस, वजन, ब्लड प्रेशर, अल्ट्रासाउंड एवं अन्य जांचें।
इसी दिवस को और विस्तार रूप देते हुए हर माह की 24 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान क्लिनिक सभी प्रथम संदर्भन इकाइयों (एफ़आरयू) पर मनाया जा रहा है, जिसमें चिन्हित एचआरपी की जांच और उनकी समस्या के अनुसार उनका उचित चिकित्सकीय निदान किया जाता है| - प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना- इसके अंतर्गत पहली बार गर्भवती हुई महिला को पांच हज़ार रूपए तीन किस्तों में दिए जाते हैं|इसके अंतर्गत पिछले एक वर्ष में 6544 गर्भवतियों को लाभ दिया जा चुका हैI
- एमडीएसआर-मातृ मृत्यु को कम करने के लिए मातृ मृत्यु निगरानी और प्रतिक्रिया (एमडीएसआर) कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसमें अंतर्गत गर्भावस्था, प्रसव के दौरान व प्रसव पश्चात 42 दिन के भीतर गर्भावस्था से संबन्धित कारणों से होने वाली मृत्यु की सघन निगरानी की जाती है, और कारणों का पता लगाकर उसपर कार्य किया जाता है| मातृ मृत्यु की सूचना 104 नंबर पर दी जा सकती हैं, सूचना की पुष्टि होने पर जानकारी देने वाले को 1000 रूपए देने का भी प्रावधान हैं|
गर्भवतियों को गर्भावस्था के दौरान होने वाले तीन डिले (देरी) यानि देखभाल लेने के निर्णय में देरी, उचित देखभाल तक पहुंचने में देरी, गुणवत्ता पूर्ण और पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने में देरी के बारें में भी बताया जाता है|
गर्भवती को टीडी का टीका, फ़ोलिक एसिड, आयरन व कैल्शियम, एल्बेंडाजोल आदि की गोलियां मुहैया करायी जाती हैं| इसके साथ ही प्रथम पंक्ति के कार्यकर्ता के द्वारा उन्हें बेहतर पोषित आहार के लिए बताया जाता है|
प्रसव के उपरांत महिला को उचित पोषण की सलाह दी जाती है, साथ ही उन्हें बताया जाता है कि छः माह तक शिशु को सिर्फ़ स्तनपान ही कराएँ| इससे न सिर्फ़ शिशु की सेहत पर अनुकूल असर पड़ेगा, बल्कि माँ भी स्तनकैंसर जैसे गंभीर रोग से बच सकेगी|
- परिवार नियोजन – महिला स्वास्थ्य के लिए परिवार नियोजन भी बहुत जरुरी है| इसके लिए स्थायी व अस्थायी साधन उपलब्ध हैं जैसी कि पीपीआईयूसीडी, अंतरा इंजेक्शन, छाया एवं माला गोली और आईयूसीडी मौजूद हैं। पिछले एक वर्ष में 8180 महिला नसबंदी, 5478 पीपीआईयूसीडी,12022 आईयूसीडी, 8486 अंतरा लगाये गए| इसके साथ ही लाभार्थियों को छाया और 6993 लाभार्थियों को माला की गोलियां दी गयी|
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन