झांसी 23 फरवरी। झांसी जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने जिले में स्थित बांधों या वॉटर बॉडीज़ पर फ्लोटिंग सौर परियोजना की स्थापना कर क्षेत्र को बिजली बनाने के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की संभावनाओं को लेकर शासन को प्रस्ताव भेजा है।
जिलाधिकारी ने गुरूवार को कहा कि जनपद में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश के अधिक अवसर हैं, उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति- 2022 के लागू होने से जनपद में और अधिक अवसर पैदा हुए हैं, उन्होंने शासन को प्रस्ताव प्रेषित करते हुए अनुरोध किया कि जनपद के बांधो अथवा किसी भी वॉटर बॉडीज पर फ्लोटिंग सौर पावर परियोजना की स्थापना कर क्षेत्र को विद्युत उत्पादन में अग्रणी बनाया जा सकता है। नीति के तहत नहरों, जलाशय अथवा किसी भी वाटर बाॅडी पर फ्लोटिंग सौर पावर परियोजनाओं की स्थापना कराये जाने का प्रावधान किया गया है।
प्रेषित प्रस्ताव में बताया कि जनपद झांसी में स्थित 05 उपयुक्त वाटर बाॅडी पारीछा वियर, ढुंकुंवा बांध, सपरार बांध, लहचूरा बांध और खपरार बांध की जानकारी सिंचाई विभाग से प्राप्त हुई है, जिस पर फ्लोटिंग सौर पैनल लगने से जहाँ एक तरफ सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा, वहीं दूसरी तरफ जनपद में ग्रीष्मकाल की प्रचण्ड गर्मी में वाष्पीकरण के माध्यम से जलहानि को कम करके जल संचयन में भी मदद मिलेगी ।उन्होंने बताया कि 05 बांधों पर फ्लोटिंग सोलर पावर परियोजना की स्थापना से लगभग 40.40 मेगा वाट विद्युत का उत्पादन होगा जिससे क्षेत्र में बिजली पर निर्भरता कम होगी और कम लागत में सौर ऊर्जा के माध्यम से विद्युत उत्पादन होगा, इसके अतिरिक्त क्षेत्र में अत्याधिक गर्मी होने से पानी का वाष्पीकरण भी कम होगा और वॉटर बॉडीज के पानी भी की शुद्धता भी बरकरार रहेगी।
जिलाधिकारी ने फ्लोटिंग सोलर पैनल के फायदे सौर ऊर्जा के पर्यावरणीय लाभ की जानकारी देते हुए बताया कि सौर ऊर्जा के महत्वपूर्ण पर्यावरणीय लाभ हैं, और तैरने वाले सौर पैनल निस्संदेह उन लाभों में योगदान देंगे। फ्लोटिंग सोलर पैनल इंस्टॉलेशन में पानी न केवल सौर ऊर्जा से चलने वाले सिस्टम को ठंडा करता है, बल्कि यह दूसरे तरीके से भी काम करता है। फ्लोटिंग सोलर पैनल इंस्टॉलेशन जल निकाय को छाया देता है और तालाबों, जलाशयों और झीलों में वाष्पीकरण को कम करता है। वाष्पीकरण के कारण पानी की कमी समय के साथ बढ़ सकती है और कमी का कारण बन सकती है। इसलिए यह उन स्थानों पर सौर ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय लाभ है जो सूखे के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।
फ्लोटिंग सोलर पैनल द्वारा प्रदान की गई छाया मीठे पानी में शैवाल के खिलने को कम करने में मदद कर सकती है। पीने के पानी के स्रोत में पाए जाने पर शैवाल मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है, और यह जलीय पौधों और जानवरों की मृत्यु का कारण भी बन सकता है।फ्लोटिंग सोलर पैनल के सबसे महत्वपूर्ण फायदों में से एक यह है कि उन्हें किसी जमीनी क्षेत्र की आवश्यकता नहीं होती है। इन सौर पैनल प्रतिष्ठानों में से अधिकांश को पानी के निकायों पर रखा जा सकता है, जैसे जलविद्युत बांध जलाशयों, अपशिष्ट जल उपचार तालाबों, या पीने के पानी के जलाशयों, जहां वर्तमान में खाली क्षेत्र है।
यह भूस्वामियों को ऐसी साइट का उपयोग करने की अनुमति देगा जो भविष्य में किसी और चीज़ के लिए इस्तेमाल की जा सकने वाली सनी भूमि पर सौर पैनल स्थापित करने के बजाय अन्यथा अप्रयुक्त हो जाएगी। इसके अलावा, खुले पानी पर सौर पैनल लगाने से पेड़ों की सफाई और जंगल की सफाई की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, जो कि बड़े सौर पैनल प्रतिष्ठानों के लिए एक मानक प्रक्रिया है।
जिलाधिकारी ने अनुरोध किया कि उक्त प्रस्ताव को क्षेत्र की महती आवश्यकता को देखते हुए सहमति उपरांत आवश्यक कार्यवाही करने का कष्ट करें।
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन