मानसिक स्वास्थ्य और जीवन कौशल

माता-पिता से खुलकर करें बात, बतायें समस्या:सुनील कुमार सेन

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झांसी 13 जनवरी। झांसी स्थित बुन्देलखंड विश्वविद्यालय (बीयू) में “ मानसिक स्वास्थ्य और जीवन कौशल” विषय पर आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि सहायक कुलसचिव वित्त सुनील कुमार सेन ने अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए माता पिता से खुलकर बातचीत करने की जरूरत को रेखांकित किया।

मानसिक स्वास्थ्य और जीवन कौशल

राज्य परिवार नियोजन अभिनवीकरण सेवा परियोजना एजेंसी (सिफ्सा) ने इतिहास विषय के प्रथम सत्र के विद्यार्थियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य और जीवन कौशल विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया । इस कार्यशाला में बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव वित्त सुनील कुमार सेन ने मुख्य अतिथि के रूप में विद्यार्थियों को मानसिक स्वास्थ्य, परीक्षा के दौरान होने वाली समस्याओं एवं जीवन के विविध पक्षों पर चर्चा की।

विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए श्री सेन ने कहा “ एक ऐसा दोस्त होना चाहिए जिससे हम अपनी बात को आसानी से कह सकें और वह बातों को गोपनीय रख सके। बात को कहना बहुत जरुरी होता है, इसके आभाव में मन में वह विचार लगातार घूमते रहते हैं और हम परेशान होते रहते हैं। जब हम छोटे थे तो बिना कहे भी हमारे माता-पिता हमारी बात को समझ लेते थे। आज हम सोचते हैं कि वह हमारी बात को नहीं समझ रहे हैं। हकीकत यह है कि आप उनसे आपनी बात को खुलकर बताते ही नहीं, अगर हम अपने माता-पिता से अपनी बात को खुलकर बता दें तो बहुत सी समस्यायों का अपने आप ही समाधान हो जाएगा।

मानसिक स्वास्थ्य और जीवन कौशल

कार्यशाला के प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. मुन्ना तिवारी ने कहा कि विद्यार्थियों की समस्यायों को सुनने के लिए सिफ्सा के अंतर्गत क्यू क्लब का गठन किया गया है। विद्यार्थी चाहें तो वहां आकर अपने शिक्षक या डॉक्टर से सलाह कर सकते हैं और उनसे बात कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में जगह-जगह पर ‘उलझन-सुलझन’ बॉक्स लगाया जा रहा है और इसके साथ ही साथ सुझाव पेटिका भी लगाई गयी है। विद्यार्थी को कोई समस्या हो तो वह अपनी बात को लिखकर बॉक्स में डाल सकते हैं और प्रत्येक 15 दिन पर उसे खोल कर जो समस्या आई हुई होती हैं उनके समाधान की कोशिश की जाती है।

कार्यक्रम के दुसरे सत्र में स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता, मानसिक स्वास्थ्य प्रबंधन – अवसाद, भावनात्मक समस्या, युवाओं के मुख्य मुद्दे, सामान्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे विषयों पर चर्चा की गयी। इसके बाद तीसरे सत्र में मानसिक रूप से परेशान होने पर किए जा सकने वाले उपायों के बारे में चर्चा की गयी. विद्यार्थियों ने अपने विचारों को खुलकर विशेषज्ञों के सामने रखा और विशेषज्ञों से चर्चा की।

कार्यक्रम में इतिहास विषय के शिक्षक डॉ. शैलेंद्र तिवारी, शोधार्थी विजया, बृजेश पाल एवं अन्य उपस्थित रहे।

वैभव सिंह

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