उन्नत हल्दी

बीयू किसानों को हल्दी की उन्नत खेती के लिए कर रहा है प्रोत्साहित

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झांसी 08 नवंबर । झांसी स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (बीयू) इस क्षेत्र में हल्दी की उन्नत किस्मों को बढ़ावा देने के सरकारी प्रयासों को समर्थन देते हुए यहां के किसानों को इसके लिए प्रेरित कर रहा है।

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय एक ऐसी ही परियोजना पर काम कर रहा है, जिसके तहत किसानों को हल्दी की उन्नत किस्मों के उपयोग के लिए प्रेरित किया जा रहा है। परियोजना के मकसद से यह जानने की भी कोशिश हो रही है कि बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए हल्दी की कौन सी किस्में लाभदायक हैं, जिनका उन्हें प्राथमिकता के साथ उपयोग करना चाहिए। किसानों को परियोजना के तहत मुफ्त बीज उपलब्ध कराकर उन्हें वैज्ञानिक ढंग से खेती करने और उत्पादन के तरीके सिखाये जा रहे हैं।

उन्नत  हल्दी
बीयू का कृषि विज्ञान संस्थान झांसी जनपद के बबीना, बड़ागांव और मऊरानीपुर ब्लॉक में हल्दी की उन्नत किस्मों और वैज्ञानिक खेती को बढ़ावा देने पर काम कर रहा है। चयनित क्षेत्रों में छह तरह की वैरायटी किसानों को उपलब्ध कराई जा रही है, इनमें पूर्वोत्तर की, दक्षिण भारत की और स्थानीय किसमें शामिल हैं। इन सभी के उत्पादन में तुलना पर यह सामने आया कि पूर्वोत्तर की किस्में इस क्षेत्र में अधिक और बेहतर पैदावार दे रही हैं। इस आधार पर किसानों को बेहतर उत्पादन वाली किस्मों के उपयोग को प्रेरित किया जा रहा है।

पिछले वर्ष चार गांव के 34 किसानों और इस वर्ष 11 गांव के 59 किसानों को मुफ्त हल्दी के बीज उपलब्ध कराए गए हैं। हल्दी का उपयोग दवाओं और सौंदर्य प्रसाधन सामग्री के अलावा कई अन्य उत्पादों के निर्माण में प्रमुखता से किया जाता है। झांसी के बरुआसागर सहित कई हिस्सों में हल्दी का उत्पादन काफी प्रमुखता से होता रहा है।
विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के सहायक आचार्य और परियोजना प्रबंधन डॉ सत्यवीर सिंह बताते हैं कि हल्दी की औषधीय खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद है। हम झांसी के कई क्षेत्रों में चयनित गांव में किसानों के साथ मिलकर हल्दी के स्थानीय और बाहर से मंगाए गए किस्मों की बुवाई कर उनके उत्पादन की तुलना कर रहे हैं।

हम किसानों को मुफ्त बीज देने के साथ ही फसलों की बुवाई, कीटों से बचाव के तरीकों की जानकारी दे रहे हैं। इस क्षेत्र में पूर्वोत्तर की कई किस्में जैसे – बिहार की राजेंद्र सोनिया, केरल की प्रगति, आसाम की लाकाडोंग, मेघालय की मेघाटरमरीक आदि किस्में बेहतर उत्पादन दे रही हैं। हम किसानों को ऐसी किस्मों के उपयोग के लिए प्रेरित करने के साथ ही उन्हें प्रशिक्षण भी मुहैया करा रहे हैं।

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