झांसी 01 नवंबर । झांसी जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने जनपद में किसानों को पराली जलाने से रोकने को प्रोत्साहित करने और इससे होने वाले नुकसान के बार में समझाने के साथ साथ पराली से खाद बनाने वालें किटें भी आज नि:शुल्क वितरित कीं।
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में विकासखंड बड़ागांव के ग्राम छपरा में प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फॉर इन सीटू मैनेजमेंट ऑफ क्रॉप रेजीइयू योजना (फसल अवशेष प्रबंधन) एवं निशुल्क वेस्ट डी कंपोजर कैप्सूल वितरण/निशुल्क मिनी किट वितरण आयोजित किया गया।
इस दौरान जिलाधिकारी ने महिला सशक्तिकरण को चरितार्थ करती महिला किसान एवं अन्य कृषकों से अपील करते हुए कहा कि खेत में आग ना लगाएं, कृषि अवशेष/घरों का कूड़ा खेत में किसी भी दशा में न जलाएं। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री जी की मंशा है कि पराली प्रबंधन से किसानों की आय को बढ़ाया जाए और इसे मूर्त रूप देने के लिए आज किसानों को निशुल्क वेस्ट डी-कंपोजर कैप्सूल वितरित किए जा रहे हैं। किसान इसका प्रयोग करें और पराली/कृषि अवशेष को खाद बनाते हुए अपनी फसल उत्पादन को बढ़ावा दें।
उन्होंने विशेष रूप से विकास खंड मोंठ और विकासखंड बड़ागांव व विकासखंड चिरगांव के किसानों को जागरूक करने पर बल देते हुए कहा कि खेत में आग लगाने से अथवा कृषि अवशेष को जलाने से जहां एक और वायुमंडल दूषित होता है, वही खेत के मित्र कीट भी मृत होते हैं साथ ही मृदा के पोषक तत्वों की भी क्षति हुई होती है। जिस कारण पैदावार में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा की धान पैदा करने वाले किसान पराली ने जलाएं बल्कि इसे 100रूपये प्रति कुंतल बेचकर पैसा कमाएं। उन्होंने यह भी बताया कि पराली संग्रह करने हेतु तथा कृषकों के खेत से गौशाला तक पराली ढुलान का उत्तरदायित्व ग्राम प्रधान को दिया गया है, ग्राम प्रधान ऐसे काश्तकारों को चिन्हित करना सुनिश्चित करें। इसके साथ ही पराली का गौशाला स्थल में पशुओं के बिछावन या अन्य उपयोग में भी लाया जा सकेगा।
विकासखंड बड़ागांव के ग्राम छपरा में आयोजित कार्यक्रम में उप कृषि निदेशक महेंद्र पाल सिंह ने सर्वप्रथम जिलाधिकारी का स्वागत करते हुए किसानों को निशुल्क वितरित किए जा रहे वेस्ट डी कंपोजर कैप्सूल की जानकारी देते हुए तथा उसके प्रयोग विधि को बिंदु बार बताते हुए कहा कि ऑल राउंडर प्लस पूसा डी-कम्पोजर 150 ग्राम गुड़ को लेकर 5 लीटर पानी में मिला लें। पूरे मिश्रण को अच्छी तरह उबाल लें और उसके बाद उसमें से सारी गंदगी निकाल कर फेंक दें। मिश्रण को किसी चौकोर बर्तन जैसे ट्रे या टब में ठंडा होने के लिए रख दें। जब मिश्रण गुनगुना हो जाए तो इसमें 50 ग्राम बेसन मिला लें। कैप्सूल खोलें और मिश्रण में डालें। लकड़ी के डंडे से अच्छी तरह मिला लें। मिश्रण को सामान्य तापमान वाली जगह पर रखें। अब इसे एक हल्के कपड़े से ढक दें और मिश्रण को अब और न हिलाएं। दो से तीन दिन में मिश्रण पर क्रीम जमने लगेगी और उसमें अलग-अलग रंग नजर आने लगेंगे। चार दिनों के बाद, मिश्रण के ऊपर क्रीम जम जाएगी। अब, 5 लीटर गर्म गुड़ का घोल (बिना बेसन के) डालें। इस क्रिया को हर दो दिन में तब तक दोहराएं जब तक मिश्रण 25 लीटर तक न पहुंच जाए। 25 लीटर मिश्रण को अच्छी तरह मिला लें और उपयोग के लिए मिश्रण तैयार कर लें।
उन्होंने किसानों को इसके उपयोग की जानकारी देते हुए बताया की खेत के अंदर (इन सीटू) अपघटन के लिए 10 लीटर पूसा डीकम्पोजर को 200 लीटर पानी में मिला के 1 एकड़ में नैपसैक स्प्रेयर द्वारा छिड़काव किया जा सकता है, उसके बाद पराली को रोटावेटर से अच्छी तरह से मिला दे और हल्की सिंचाई कर दें।
ग्राम छपरा में आयोजित प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फॉर इन सीटू मैनेजमेंट ऑफ क्रॉप रेजीइयू योजना अंतर्गत आयोजित फसल अवशेष प्रबंधन के व्यापक प्रचार-प्रसार एवं वेस्ट डी कंपोजर कैप्सूल वितरण कार्यक्रम में जिलाधिकारी ने लगभग 100 किसानों को निशुल्क मिनी किट वितरित की जिसमें मसूर,राई और चना शामिल है। इसके अतिरिक्त डीडी कृषि ने बताया कि जनपद के सभी कृषि भंडार कृषि बीज भंडार केंद्रों पर गेहूं,मटर,मसूर के बीज उपलब्ध हैं किसान 50% अनुदान पर उन्हें ले सकते हैं।
इस अवसर पर जिला कृषि अधिकारी के के सिंह, प्रभारी बीडीओ राम अवतार, एसडीओ मऊरानीपुर डिंपल कैन, विषय वस्तु विशेषज्ञ दीपक कुशवाहा, हरीश चंद्र वर्मा, धर्मेंद्र कुशवाहा, अरविंद पिपरैया सहित बड़ी संख्या में किसान और विभागीय अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।