झांसी 30 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक नगरी झांसी के इतिहास के साथ छेड़छाड़ करते हुए उसे 20 साल की युवा झांसी बताने वाले नगर निगम की यह कारगुजारी अब उसके गले की हड्डी बन गयी है। इस मामले पर समाज के हर तबके से उठे व्यापक आक्रोश के चलते अब अपर नगर आयुक्त भी बैकफुट पर नजर आ रहे हैं।
झांसी के इतिहास से जुड़े सभी प्रमाणों को धता बताते हुए नगर निगम ने इस ऐतिहासिक नगर को मात्र 20 साल पुराना बताते हुए प्रशासन को भेजी गयी रिपोर्ट में इसकी जन्मतिथि 07 फरवरी 2002 बता दी है। इसकी जानकारी होते ही आम जन से लेकर सभी राजनीतिक दलों, इतिहासकारों, प्रबुद्धवर्ग और समाज के हर तबके में भारी आक्रोश नजर आ रहा है।
समाज के हर वर्ग के लोगों ने नगर निगम की इस कारगुजारी की कड़े शब्दों में निंदा की है। लगभग 600 साल पुराने इतिहास वाली झांसी के प्रार्दुभाव को लेकर कोई एक निश्चित तिथि नहीं मिल पाने के कारण नगर निगम के अधिकारियों ने नगर निगम के स्थापना दिवस की तारीख सात फरवरी 2002 को ही झांसी के जन्मदिवस की तारीख बता दिया है।
इस मामले में आक्रोश तब और बढ गया जब अपर नगर आयुक्त मोहम्मद कमर ने इतिहासकरों और प्रबुद्ध वर्ग की समिति से विचार विमर्श यह रिपोर्ट शासन को भेजे जाने की बात की। इसकी जानकारी होते ही समिति के कई सदस्यों ने नगर निगम द्वारा महानगर के इतिहास को लेकर दी गयी इस भ्रामक जानकारी से पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया है। इस समिति में शामिल पूर्व क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी एस के दुबे ने कहा कि नगर निगम की ओर से बताया गया था कि झांसी नगर की जन्मतिथि तय करके रिपोर्ट शासन को भेजनी है इसको लेकर बैठक की भी बात कही गयी थी लेकिन हमारी सहमति से कोई चर्चा नहीं हुई। उन्होंने बताया कि उन्हें भी समाचार पत्र के माध्यम से आज ऐसी सूचना मिली है। इसको लेकर समिति के साथ विचार के बाद आमसहमति से महानगर की जन्मतिथि शासन को भेजे जाने की जो बात कहीं जा रही है वह पूरी तरह से भ्रामक है।
इस मामले में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के उपाध्यक्ष और बुंदेलखंड के इनसाइक्लोपीडिया के नाम से जाने जाने वाले हरगाेविंद कुशवाहा ने कड़ी आपत्ति दर्ज करायी है उन्होंने ऐसी पूण्य और ऐतिहासिक नगरी के इतिहास के साथ छेड़छाड करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि नगर अपर आयुक्त मोहम्मद कमर को पद से हटाया जाना चाहिए। उन्होंने एक ऐतिहासिक नगर के बारे में शासन को ऐसी रिपोर्ट आखिर किस तरह से भेज दी। झांसी के पूरे इतिहास को नकारते हुए उन्हाेंने झांसी को 20 साल पुराना बता दिया। यहां का इतिहास तो रानी से भी पहले का है जब 1757 में नौरूशंकर यहां आये उन्होंने नगर का परकोटा बनवाया , शिव मंदिर बनवाया। उनके लगभग सौ साल बाद यहां महारानी लक्ष्मीबाई का काल है तो इस पूरी ऐतिहासिकता को नकारते हुए झांसी को 20 साल पुराना बताना पूरी तरह से हास्यास्पद नहीं तो और क्या है।
श्री कुशवाहा ने कहा कि समिति के वरिष्ठ सदस्य और इतिहासकार मुकुंद महरोत्रा ने भी कहा है कि हमने तिथि को लेकर ऐसी कोई सहमति नहीं दी थी तो अपर नगर आयुक्त ने कैसे ऐसी भ्रामक जानकारी शासन को भेज दी।
उन्होंने कहा “ मेरा अपर नगर आयुक्त पर सीधा आरोप है कि इसकी पूरी जिम्मेदारी उन्हीं की है । इस मामले में उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग किया है। इतिहास के साथ छेड़छाड करने वाले अधिकारी कुर्सी पर रहने लायक नहीं हैं।उनके द्वारा भेजी गयी यह रिपोर्ट शासन में दर्ज हो जायेगी इसे रद्द किया जाना चाहिए। समिति काे भंग कर उसकी अनुशंसाओं को रद्द किया जाना चाहिए । उन्होंने मीडिया के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकार से निवेदन है कि इस पूरे मामले की जांच की जाए और इतिहास के साथ खिलवाड करने वाले इन अपर नगर आयुक्त के व्यक्तिगत कारनामों को जांच की जाए , साथ ही सच्चाई को जनता के सामने उजागर किया जाना चाहिए।
उन्होंने शासन से मीडिया के माध्यम से अनुरोध किया कि ऐसे महत्वपूर्ण मामलों की जानकारी मांगे जाने वाले पदों पर देशभक्त लोगों को बैठाया जानाा चाहिए न कि ऐसे लोगों को जो पूरे इतिहास को ही नकार दें।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेत प्रदीप जैन आदित्य ने भी इस पूरे मामले में नगर निगम को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि झांसी के इतिहास से पूरी दुनिया वाकिफ है लेकिन झांसी नगर निगम को कोई जानकारी नहीं। शासन की ओर से भेजे गये पत्र में झांसी की स्थापना दिवस के बारे में जानकारी मांगी गयी थी तो नगर निगम के अधिकारियों ने झांसी के वर्तमान और इतिहास के साथ एक भद्दा मजाक करते हुए शासन को भेजी रिपोर्ट में कहा कि झांसी का गठन सात फरवरी 2022 को हुआ। ऐसा करके अधिकारियों ने झांसी की जनता का अपमान किया है । ऐसा करने वाले लोग जनता से माफी मांगे । हम सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों , व्यापार मंडलों से आह्वान करेंगे कि इस मामले में शासन को पत्र लिखें । अधिकारियों से कहेंगे कि वह तत्काल अपनी गलती मानें तो सभी इतिहासकारों को बुलाकर झांसी नगर की आयु का निर्धारण करें।
समाजवादीी नेता अरविंद वशिष्ठ ने भी कहा कि नगर निगम के अधिकारियों द्वारा घोषित की गयी झांसी की जन्मतिथि को लेकर गंभीर आक्रोश प्रकट किया। उन्होंने तुरंत प्रभाव से ऐसी रिपोर्ट को निरस्त किये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि आज के समय में ऐसा कोई काम नहीं जो हो नहीं सकता यदि नगर के प्रादुर्भाव की तिथि ही सामने लानी है तो इतिहासकारों से बात कर इस बारे में फैसला किया जाए।
इस मामले को लेकर चारों ओर से उठ रहे विरोध को देखते हुए अपर नगर आयुक्त भी बैकफुट पर आ गये और उन्होंने कहा कि यह समिति की एक अनुशंसा थी । झांसी की जन्मतिथि को लेकर किसी एक तिथि पर सहमति नहीं बन पाने के कारण नगर निगम की स्थापना की तिथि को ही नगर की जन्मतिथि मानकार प्र्रेक्षित कर दिया गया था लेकिन अब अगर लोगो को आपत्ति है तो समिति अनुशंसाओं को रद्द कर नयी समिति का गठन किया जाना चाहिए।