झांसी। गोस्वामी तुलसीदास की जयंती के पावन अवसर पर गुरुवार को बुंदेलखंड के झांसी महानगर में हिंदी साहित्य भारती के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक सम्मेलन का आयोजन किया गया।
उन्नाव रोड स्थित होटल मारवलस में आयोजन में काशी, दिल्ली, ललितपुर सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे संत-महात्माओं, महामंडलेश्वरों व विद्वानों ने प्रतिभाग लिया। कार्यक्रम में धर्म, जातिवाद, नारी सुरक्षा और सांस्कृतिक मूल्यों को लेकर सारगर्भित विमर्श हुआ। कार्यक्रम सरस्वती की प्रतिमा में दीप प्रज्वलित करने के बाद शुरुवात की गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता रवींद्र शुक्ल ने की। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि समाज में समरसता के लिए जातिवाद का अंत अत्यावश्यक है। किसी भी शास्त्र ने जातिवाद को उचित नहीं ठहराया। सेवा, समर्पण और संस्कार ही धर्म के मूल स्तंभ हैं। उन्होंने कहा कि धर्म का अर्थ केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि निर्बलों के जीवन में आशा और शिक्षा का दीप जलाना है। गांव-गांव जाकर गरीब बच्चों को धर्म, मेहनत और नैतिकता का पाठ पढ़ाना हम सबकी जिम्मेदारी है।
इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष प्रहलाद बाजपेई, महामंडलेश्वर चंद्रेश्वर गिरि, महामंडलेश्वर ममता दिल्ली, आध्यात्मिक प्रकोष्ठ अध्यक्ष विनोद शर्मा ललितपुर, सचिंद्रनाथ मिश्रा, बाल न्यायाधीश डॉ. विजयलक्ष्मी शुक्ला, महामंडलेश्वर भावना गोस्वामी, सेवानिवृत्त आईएएस श्याम सिंह, कृष्णदत्त, महानगर धर्माचार्य डा हरिओम पाठक ने संबोधित किया। सभी वक्ताओं ने अपने_अपने वक्तव्य में भारतीय सांस्कृतिक और अध्यात्म विषय पर विस्तृत चर्चा की।
इस अवसर पर मुन्ना तिवारी, विष्णु दत्त स्वामी हरिओम थापक,लल्लन महाराज, बृजकिशोर भार्गव, बसंत गोलवरकर, रामकुमार बिदुआ,निशांत शुक्ला, अरविंद तिवारी,राजेश तिवारी मक्खन, रूचि निवेदिता, दीपक त्रिपाठी, नीरज सिंह, मीनू राजावत, सीमा शर्मा, नीता अवस्थी, सविता पचौरी,स्नेहलता तोमर, रजनी निरंजन, साधना यादव, प्रतिमा ओझा, संगीता जोशी, सरोज मौर्य आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन बीबी त्रिपाठी व संजय राष्ट्रवादी ने सभी का आभार व्यक्त किया।