झांसी। रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय द्वारा ढिकौली गांव में महिलाओं की आजीविका, सामाजिक स्थिति और आर्थिक सशक्तिकरण पर केन्द्रित समूह चर्चा (एफजीडी) का आयोजन किया गया। यह चर्चा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद् (आईसीएसएसआर) द्वारा वित्त पोषित शोध परियोजना “बुंदेलखंड क्षेत्र में कृषि आजीविका में महिलाओं की गतिशीलता” के तहत की गई।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं की कृषि में भागीदारी को समझना और उनके सशक्तिकरण के लिए आवश्यक सामाजिक व तकनीकी हस्तक्षेपों पर चर्चा करना था। इस चर्चा का संचालन शोध दल की प्रमुख अन्वेषक डॉ. अलका जैन, सह-अन्वेषक डॉ. डेविड भास्कर और डॉ. आशीष गुप्ता ने किया।
डॉ. अलका जैन ने बताया कि कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह के नेतृत्व में बुंदेलखंड की महिला किसानों की भूमिका को सशक्त करने के लिए शोध और विस्तार कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जा रहा है। डॉ. डेविड भास्कर ने कहा कि यह शोध परियोजना ग्रामीण महिला किसानों की स्थिति को बेहतर समझने और उनके विकास के लिए प्रभावी नीतियां बनाने में मददगार होगी।

इस चर्चा में 20 से 70 वर्ष की आयु वर्ग की 60 महिलाओं ने भाग लिया और अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने जल संरक्षण, पारंपरिक कृषि तकनीक, ऋण प्रणाली और सामाजिक कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार रखे।
महिलाओं ने कौशल विकास कार्यक्रमों में भागीदारी की इच्छा जताई और अपनी आमदनी बढ़ाने से जुड़ी जानकारियां प्राप्त करने में उत्सुकता दिखाई। चर्चा में यह सामने आया कि महिलाएं न केवल खेतों में श्रम योगदान देती हैं, बल्कि बीज बोने, निदाई, कटाई, भंडारण, डेयरी उत्पादन, पशुपालन और कुटीर उद्योगों में भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। इन गतिविधियों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।
इस शोध कार्यक्रम से यह उम्मीद की जा रही है कि बुंदेलखंड क्षेत्र की महिलाओं की कृषि क्षेत्र में भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा और उनके आर्थिक सशक्तिकरण के लिए नई योजनाएं बनाई जाएंगी।
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन