डॉ. राधाचरण गुप्ता का निधन

वैदिक गणित के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गणितज्ञ डॉ. राधाचरण गुप्ता का निधन

//
झांसी 05 सितंबर। बुंदेलखंड के झांसी में जन्मे वैदिक गणित के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गणितज्ञ डॉ. राधाचरण गुप्ता का गुरूवार को निधन हो गया। शिक्षक दिवस के दिन शैक्षणिक जगत को हुई इस अपूर्णनीय क्षति से शिक्षक और आमजन स्तब्ध तथा दुखी है। डॉ. गुप्ता  90 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
 डॉ. राधाचरण गुप्ता का निधन
 झांसी मण्डलायुक्त बिमल कुमार दुबे ने पद्मश्री डॉ. राधाचरण गुप्ता के निधन गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा है कि ऐसे महान गणितज्ञ अपने जीवित रहते हुए तो ख्याति अर्जित करते ही हैं उनकी मृत्यु के उपरान्त उनके शोध कार्य कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन भी करते हैं। झांसी में जन्मे महान गणितज्ञ डॉ राधाचरण गुप्ता का जाना समाज के लिये अपूरणीय क्षति है।
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (बुंविवि) के कुलपति प्रो. मुकेश कुमार पाण्डेय ने अपने शोक संदेश में कहा है कि डॉ. राधाचरण एक महान गणितज्ञ थे जिन्होंने अपने सतत् शोध कार्यों से वैदिक गणित के इतिहास को समृद्ध बनाया है। बुंविवि में उनके नाम से एक शोध पीठ की स्थापना की गयी है जहां उनके कार्यों एवं वैदिक गणित में दिये गये योगदान को जीवित रखा जायेगा।
 डॉ. राधाचरण गुप्ता का निधन
डॉ. गुप्ता को देश में गणित का नोबेल पुरुस्कार माना जाने वाले ‘कैनेथ ओ मे’ पुरुस्कार से सम्मानित थे और यहां सीपरी बाजार क्षेत्र रसबहार कॉलोनी में लंबे समय से निवास कर रहे थे। उनके निधन से स्थानीय लोग और देश के शैक्षिक जगत से जुड़े लोग स्तब्ध हैं।

डॉ. गुप्ता ने अपनी विद्वता से सम्पूर्ण भारत में ही नही बल्कि विश्व में प्रसिद्धि अर्जित की । उनका जन्म उत्तर प्रदेश के झांसी नगर में 1935 में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा यहीं से पूरी करने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय से 1955 में स्नातक तथा 1957 में परास्नातक की उपाधि प्राप्त की। डॉ गुप्ता ने अपना कैरियर एक गणित के अध्यापक के रूप में प्रारम्भ किया। वह 1963 में दत्ता एण्ड सिन्हा की पुस्तक हिस्ट्री ऑफ हिन्दू मैथेमैटिक्स से बहुत प्रभावित हुए। डॉ. गुप्ता 1957 से 1958 तक लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज में प्रवक्ता रहे।

डॉ.गुप्ता ने अपना सम्पूर्ण जीवन वैदिक गणित के शोधपत्रों के लेखन व उसे नये आयामों तक पहुंचाने में लगा दिया। उन्हें 1991 में राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी में फैलोशिप मिली तथा 1994 में वे भारत के गणित शिक्षक संगठन के अध्यक्ष चुने गये। 2009 में उन्हें गणित के इतिहास पर शोधपूर्ण कार्य करने के लिये अन्तर्राष्ट्रीय आयोग द्वारा भारत में गणित का नोबेल पुरुस्कार माना जाने वाला ‘कैनेथ ओ मे’ पुरुस्कार से नवाजा गया।

आईआईटी बॉम्बे ने 2015 में डॉ. राधाचरण गुप्ता के वैदिक गणित के इतिहास से सम्बन्धित लेखों पर आधारित विश्व प्रसिद्ध पुस्तक ‘गणितानन्द’ (स्प्रिंगर) प्रकाशित की। एनसीईआरटी दिल्ली ने प्रोफेसर गुप्ता की दो पुस्तकें प्राचीन भारतीय गणित व मध्यकालीन भारतीय गणित की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक झलकियाँ प्रकाशित की।

डॉ. गुप्ता के  द्वारा दिखाया गया मार्ग आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उन्हें वर्ष 2023 में केंद्र सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया था और इसी वर्ष बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने पर्लस ऑफ बुंदेलखण्ड सम्मान से भी नवाजा गया था । भारतीय गणित जगत में उनका योगदान अतुलनीय है।
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Previous Story

महिलाओं के साथ लूट को अंजाम देने वाले दो शातिर मुठभेड़ में गिरफ्तार

Next Story

जल जीवन मिशन की अनियमितताओं पर भड़के झांसी जिलाधिकारी

Latest from Jhansi

झांसी:उ.प्र. लोक सेवा आयोग प्रयागराज की परीक्षा में बैठे 9543 अभ्यर्थी, 13443 रहे अनुपस्थित

झांसी। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग प्रयागराज परीक्षा आयोजित परीक्षा सम्मिलित राज्य/ प्रवर अधीनस्थ सेवा (प्रा)