झांसी 28 जून । बुंदेलखंड के झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के उद्यानिकी एवं वानिकी सभागार में कृषि लागत परियोजना के तीन दिवसीय कार्यशाला के द्वितीय दिवस की
अध्यक्षता कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित होने में कृषि लागत परियोजना का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। यह केंद्र सरकार के
कृषि मंत्रालय की महत्त्वपूर्ण योजना है, जो किसानों के हित के लिए कार्य कर रही है।
डॉ़ सिंह ने उन्होंने परियोजना में कार्यरत फील्ड कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा किसानों से मधुर संबंध बनाकर उनकी समस्यायों को लेकर उच्च अधिकारियों को अवश्य अवगत कराएं, जिससे उनका निदान कराया जा सके। आप लोागें के आंकड़ों के आधार पर ही भारत सरकार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करती है। इसलिए आवश्यक है कि आप सही ऑकलन करें।
कृषि लागत परियोजना के नोडल अधिकारी डॉ. एसएस सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश के 75 जिलों के 150 ग्रामों में कृषि लागत परियोजना कार्य कर रही है। इसका नेतृत्व झांसी स्थित कृषि विश्वविद्यालय कर रहा है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक ग्राम में 6 – 6 किसानों का चयन कर 15 फसलों के ऑकड़ों का आकलन, सामाजिक एवं आर्थिक सहयोग करना इस परियोजना का मूल कार्य है। कृषि विवि के वैज्ञानिक भी इस वर्ष से परियोजना में अपना सहयोग देंगे।
कृषि लागत परियोजना के क्षेत्र अधिकारी डॉ. डीवी सिंह ने कृषि लागत परियोजना की सम्पूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि यह परियोजना देश में सन् 1971 से कार्यरत है। कृषि विवि झांसी में सन् 2022 से संचालित की जा रही है। इसमें कर्मचारी किसानों के खेत पर जाकर ही किसानों के साथ खेत की तैयारी से लेकर मंडी तक होने वाली सभी क्रियाओं पर नजर रखते हैं उसी प्रकार से आंकड़े तैयार कर केंद्र सरकार को भेजने का कार्य करते हैं।
इस अवसर पर डॉ. राजेश सिंह तोमर, डॉ. अजय कुमार शर्मा, डॉ. सुरेश कुमार वर्मा, डॉ. देवेन्द्र सिंह, धर्मन्द्र सिंह सोलंकी, अजीत सिंह राना, विक्रम सिंह एवं उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आएं समस्त परियोजना अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे। परियोजना के सहायक सांख्यकी अधिकारी अतुल चौहान ने सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन