झांसी-कृषि-विश्वविद्यालय

झांसी कृषि विश्वविद्यालय में शुरू हुआ वैज्ञानिक-छात्र विमर्श

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झांसी 30 मार्च । बुंदेलखंड के झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय कृषि छात्र आयाम गतिविधियों पर दो दिवसीय वार्षिक परिचर्चा का शनिवार को आरंभ हुआ।

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आज के अतिथि एग्रीविजन क्षेत्रीय संगठन मंत्री (उत्तर – पूर्व) निखिल रंजन, कुलपति डॉ अशोक कुमार सिंह, निदेशक शोध  डॉ. एस के चतुर्वेदी, राष्ट्रीय संयोजक (एग्रीविजन) शुभम पटेल, एग्रीविजन के संस्थापक सदस्य एवं सलाहकार समिति के सदस्य रघुराज तिवारी एवं भारत सरकार के उद्यानिकी कमिशनर डॉ प्रभात कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर दो दिवसीय परिचर्चा का शुभारम्भ किया। सभी अतिथियों को एग्रीविजन के पदाधिकारियों ने प्रतीक चिन्ह एवं पुष्प् गुच्छ देकर स्वागत सम्मान किया।

राष्ट्रीय संयोजक एग्रीविजन शुभम पटेल ने एग्रीविजन का संक्षिप्त परिचय कराते हुए कहा कि एग्रीविजन में देश भर कृषि वैज्ञानिक, प्रोफेसर, विद्यार्थी जुड़े हुए हैं। इस दो दिवसीय परिचर्चा में कृषि शिक्षा नीति को और सरल बनाना एवं अन्य कृषि मुद्दों को लेकर चर्चा होगी। एग्रीविजन देशभर में कृषि सेवा कार्यों के लिए निरन्तर कार्यरत है।

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कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि कृषि बगैर  उन्नति संभव नहीं है। कृषि छात्रों को विचार सांझा करने के लिए प्लेटफार्म मिलना तथा वैज्ञानिकों के साथ चर्चा में सम्मिलित होना  विकास के लिए आवश्यक है। देश ने संकल्प लिया है 2070 तक कार्बन का उत्सर्जन शून्य होगा। अभी कृषि क्षेत्र में  बहुत कार्य किया जाना बाकी है। जलवायु परिवर्तन पर विश्व चिंतित है। सर्वप्रथम प्राकृतिक खेती की शुरूआत महाराष्ट्र से हुई। इसको वैज्ञानिक पद्धति से करने की आवश्यकता है।

कृषि वैज्ञानिक  प्राकृतिक खेती को कैसे मूर्तरूप दें इस पर विचार करने की आवश्यकता है। देश के तीनों केन्द्रीय में कृषि विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती के स्नातक कोर्स प्रारम्भ हुए हैं। इनमें  कृषि विवि कोइस कोर्स के लिए 20 विद्यार्थी मिले हैं। प्राकृतिक खेती पर अपितु विदेशों में भी कार्य प्रारम्भ हो गया है। आज भी विश्व में करोड़ों लोग कुपोषण का शिकार हैं अतः पोषकता पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

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निदेशक शोध डॉ. एस के चतुर्वेदी ने कहा कि सर्वाधिक रोजगार कहीं है, तो कृषि क्षेत्र में है। कार्यों के विकेन्द्रीकरण से सबकी भागीदारी सुनिश्चित होती है। आज की इस परिचर्चा में यह  महत्त्वपूर्ण है। परिचर्चा के मुख्य विषय प्राकृतिक खेती की विस्तृत चर्चा करते हुए उर्वरक और पोषक तत्त्वों पर शोध के कार्यों पर प्रकाश डाला।

एग्रीविजन संस्थापक सदस्य एवं सलाहकार  समिति के सदस्य रघुराज तिवारी ने कृषि विवि की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश भर में यह  संस्थान महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। देशभर में 70 से अधिक कृषि विवि हैं जो शिक्षा को व्यापक  रूप से आगे बढ़ा रहे हैं। कृषि क्षेत्र के बजह से आज देश की इकोनॉमी पांचवे नम्बर पर है।  कृषि आत्मनिर्भता का आयाम है। किसानों को आईसीएआर ने प्रोफेसर की मान्यता दी है।एग्रीविजन  के द्वारा देशभर में किए गए कार्यों की लघुफिल्म सभी लोगों को दिखाई गई।

एग्रीविजन के क्षेत्रीय संगठन मंत्री (उत्तर – पूर्व) निखिल रंजन ने कहा कि छात्र संगठन का कार्य राजनीतिक नारा लगाना नहीं है बल्कि विद्यार्थियों के उत्थान एवं देश सेवा व समाज सेवा के कार्यों के लिए है। कृषि शिक्षा एग्रीविजन का उद्धेश्य विद्यार्थी समाज और देश के लिए कुछ कर सकें। उन्होंने प्राकृतिक खेती की चर्चा करते हुए जलवायु परिवर्तन,  प्लास्टिक पाऊज, डिब्बे आदि से नुकसान पर चर्चा की।

भारत सरकार के उद्यानिकी कमिशनर डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि अन्न दाता से ऊर्जा दाता की ओर किसान बढ़े इस पर  कृषि मंत्रालय, भारत सरकार कार्य कर रहा है।

वैभव सिंह

बुंदेलखंड कनेक्शन

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