झांसी 09 फरवरी। झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के चल रहे उत्तर क्षेत्रीय किसान मेला एवं प्रदर्शनी के दूसरे दिन शुक्रवार को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्मश्री से सम्मानित किसानों ने मेले में बड़ी संख्या में पहुंचे बुंदेलखंड के किसानों के साथ खेती किसानी से जुड़े अपने अनुभव साझा किये।
विश्वविद्यालय परिसर में मुख्य पंडाल में कृषि और संबंधित क्षेत्रों पर अनुभव सांझा करना विषय पर प्रथम तकनीकी सत्र आयोजित हुआ। इसकी अध्यक्षता झांसी मंडलायुक्त डॉ़ आदर्श सिंह ने की।
सह अध्यक्ष कुलपति बांदा कृषि विश्वविद्यालय, डॉ नरेन्द्र प्रताप सिंह, भारतीय किसान संघ के मोहनी मोहन मिश्रा, दीनदयाल शोध संस्थान के अतुल जैन रहे। कार्यक्रम संयोजक निदेशक शोध डॉ सुशील कुमार चतुर्वेदी ने उपस्थित सभी अतिथियों एवं पद्मश्री किसानों का स्वागत परिचय कराया। पद्मश्री किसानों कंवल सिंह चौहान, रामरत्न वर्मा, सेठपाल सिंह, जलयोद्धा के नाम से मशहूर उमाशंकर पाण्डे और चन्द्रशेखर सिंह ने अपनी सफलता की कहानी को सांझा किया। इन पांचों किसानों ने कृषि से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में उच्च कोटि का काम कर किसानों को अपने अपने क्षेत्र में पूरी क्षमता के साथ आधुनिक तकनीकी की मदद से अधिकतम लाभ कमाने के लिए प्रेरित किया ताकि किसान दीन हीन स्थिति से बाहर निकल उद्यमी किसान के रूप में स्थापित हो सके।
सत्र का अध्यक्षीय संबोधन में आयुक्त डॉ आदर्श सिंह ने कहा कि किसान विवि द्वारा किए जा रहे कृषक कार्यों का निरीक्षण अवश्य करें इससे आपको नई – नई तकनीकों की जानकारियां प्राप्त होंगी। बुंदेलखंड के किसान खेती में बहुत अधिक श्रम करते हैं लेकिन वैज्ञानिक तकनीकों की जानकारी न होने के कारण अधिक लाभ नहीं उठा पाते हैं। इस मेले से आप लोग तकनीकी ज्ञान अपनाकर अपनी आय बढ़ाएं।
जल संचय के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम कर पद्मश्री का सफर पूरा करने वाले बांदा के किसान उमाशंकर पाण्डे ने जीवन के हर क्षेत्र के साथ साथ खेती में भी पानी के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने किसानों ने खेत पर मेढ़ बनाने और मेढ़ पर पेड़ लगाने का किया आह्वान ताकि वर्षा जल की अमूल्य बूंदों को उसी जगह सहेजा जा सकें जहां वह गिरें । उन्होंने बताया कि ऐसा करने से उनके क्षेत्र में जहां सब सूखाग्रस्त हो चुका था आज वहां जबरदस्त धान की खेती होती है, गेंहू की खेती होती है। जल प्रबंधन की अनिवार्यता को रेखांकित करते हुए उन्होंने मेले में आये किसानों से बड़े पैमाने पर मेढ़बंदी को अपनाकर अपने उत्पादन तथा मुनाफे को बढ़ाने का आह्वान किया।
सत्र के सहअध्यक्ष भारतीय किसान संघ के मोहनी मोहन मिश्रा ने कहा कि सम्मान की बड़ी जिम्मेदारी भी है। आज देश के सभी व्यापारी किसानों पर ही निर्भर हैं। किसान बीज, दवाई, जुताई तथा अन्य खर्चों में दबा-कुचला जा रहा है। उन्होंने आवाहन किया कि किसान की बीज और बाजार तक सुलभ पहुंच सुनिश्चित की जाए। किसान का बीज किसान का हो और बाजार में किसान अपना माल खुद बेच सके ताकि किसान के माल को लेकर मोटे दाम पर बाजार में बेचने वाली बड़ी बड़ी कंपनियों की जेब में जा रहा मुनाफा किसानों की जेब में पहुंच सके। उन्होंने कहा कि किसान की खुशहाली और समृद्धि के लिए सोचना और पूरी गंभीरता से उनके लिए काम करना जरूरी है क्योंकि कोराना जैसे संकटकाल में जब लगभग सभीलोग घरों में बंद थे उस समय समय किसान ने अपने घरों से बाहर निकलकर खेती का काम जारी रखा ताकि लोगों को पर्याप्त अन्न मुहैया कराया जा सके।
कार्यक्रम में दो नवोन्वेषी कृषक योगेश रघुवंशी, विशाल कटारे ने भी अपने अनुभव सांझा किए। कुलपति डॉ अशोक कुमार सिंह ने मण्डालयुक्त सहित पद्मश्री किसानों एवं श्यामस्वरूप गौतम, गोपाल सिंह नई दिल्ली, डुंडा सिंह, दर्शन कुमार जम्मू, संजय कुमार, रूपलाल हिमाचल प्रदेश, जकतार सिंह, भूपेन्द्र सिंह पंजाब के किसानों को बुंदेली अंगवस्त्र, राम दरबार प्रतीक चिन्ह भेंट किया।
वैभव सिंह
बुंदेलखंड कनेक्शन