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भाजपा ने तीनों राज्यों में नये चेहरों से दिखायी 2024 की तैयारी

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नयी दिल्ली 14 दिसंबर। हाल ही में मध्यप्रदेश ,छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिली जबरदस्त जीत ने यहां एक ओर सभी राजनीतिक विश्लेषकों, मेन स्ट्रीम मीडिया , यू-ट्यूबर्स, ओपीनियन मेकर्स और इंफ्लूएंसर्स के कयासों को पलट कर रख दिया तो दूसरी ओर इन राज्यों में भाजपा ने मुख्यमंत्री और उनकी टीम के रूप जिन नामों का खुलासा किया उसने एक बार फिर उपरोक्त सभी की संभावनाओं, दावों और कयासों को  धराशायी कर दिया।

इन चुनावों में भाजपा ने दिखाया कि  वह किस तरह से एक अनुशासित पार्टी के रूप में धरातल पर बिना डिगे लगातार काम करती है और अब यह पार्टी किसी कॉरपोरेट हाउस की तरह पूरी  गोपनीय और संशय बनाये रखते हुए अपनी नीति के अनुरूप अतरंगी फैसले करते हुए लोगों को चौंका देती है। आज बात राजनीति की है लेकिन पार्टी प्रमुखों की इस तरह की रणनीति को सर्जिकल स्ट्राइक,एयर स्ट्राइक और धारा 370 को हटाये जाने जैसे फैसलों में भी देखा जा सकता है।

भाजपा की इस जीत ने दिखा दिया कि भाजपा की आधारभूत ईकाई राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) हर समय अपने अनुशासित कार्यकर्ताओं के साथ जिस तरह समाज के हर वर्ग से जुड़कर काम करता है उसका फायदा चुनाव में उसकी राजनीतिक ईकाई भाजपा को किस तरह से मिलता है। भाजपा की इन दो बड़े राज्यों में अप्रत्याशित जीत में आरएसएस के महत्व को किसी भी तरह से कम करके नहीं देखा जा सकता है।

यहीं वह बड़ा अंतर है जिसके कारण बिना आमजनता की नब्ज पहचाने और हवाई दावे कर रही कांग्रेस के वादों और दावों को जनता ने बुरी तरह से नकार दिया। आज कांग्रेस को यह विचार करने का समय है सेवादल को समाप्त कर आखिर पार्टी ने कितनी बड़ी गलती की । आज कांग्रेस के पास सेवादल का वह मजबूत आधार नहीं है जो कभी देश भर में उसकी मजबूती का आधार बनता था।

आरएसएस  और राज्य की ईकाई की मेहनत के साथ मोदी की गारंटी का दावा तीनों राज्यों में अप्रत्याशित जीत का कारण बना। तीनों राज्यों में चुनाव किसी कद्दावर राज्य के नेता या मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ नहीं बल्कि कमल और मोदी के नाम पर लड़ा गया। जीत के बाद तीनों राज्यों में जिन लोगों को सत्ता की बागडोर सौंपी उनमें प्रधानमंत्री मोदी के वादों को पूरा करने का साफ संदेश दिया गया।

चुनाव प्रचार में जाति जनगणना के विपक्ष के मुद्दे के खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी ने मात्र चार जातियों के होने और मानने की बात कही थी: गरीब, महिला,किसान और युवा।

मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री , राजेंद्र शुक्ल तथा जगदीश देवड़ा को उपमुख्यमंत्री बनाकर प्रधानमंत्री ने अगड़े , पिछड़े और दलित के साथ युवा वर्ग से किया वादा निभाया। छत्तीसगढ में किसान आदिवासी के प्रतिनिधि के रूप में विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गयी तो ओबीसी समुदाय से अरूण साव और बहुसंख्यक समाज से विजय शर्मा को उपमुख्यमंत्री पद  सौंपकर अपने कोर वोटर (बहुसंख्यक समाज) के साथ पिछड़ा वर्ग को भी प्रतिनिधित्व देने काम और वादा पूरा किया।

राजस्थान में भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री तथा दीया कुमारी व प्रेमचंद बैरवा को उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी है1 भजनलाल और दीया के माध्यम से पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ साथ अगड़ों के मनोबल को बढ़ाया गया है साथ ही श्री बैरवा को भी प्रमुख जिम्मेदारी देकर दलित समुदाय को भी प्रतिनिधित्व देने का वादा निभाया गया है।

इस तरह तीनों राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़े गये चुनाव में उनके द्वारा वर्णित चार जातियों गरीब, महिला किसा और युवा जाति को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने के साथ अपने कोर वोटरों को भी भरोसे में लेते हुए और अपने वादे को पूरा करते हुए पार्टी आलाकमान ने 2024 के लिए प्रभावी तरीके से जमीन तैयार की गयी है।

टीम वैभव सिंह

बुंदेलखंड कनेक्शन

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