‘विशेष लोक अभियोजक (रेप व पॉक्सो एक्ट) नरेन्द्र कुमार खरे के अनुसार वादी मुकदमा ने थाना सकरार में लिखित तहरीर देते हुए बताया था कि 23 फरवरी 2016 को उसकी पत्नी सब्जी बेचने गयी थी तथा वह बकरिया चराने के लिए गया था। उसकी लड़की पीड़िता उम्र करीब 15 वर्ष घर में अकेली थी। सायं करीब 5 बजे जब घर आया तब उसकी लड़की पीड़िता घर में नहीं मिली।
उसने पास पड़ोस में जानकारी की तो उसके भाई की पत्नी ने बताया कि शाम करीब को 4. 30 बजे मुहल्ला राकर खिरक खिसनी बुजुर्ग का धर्मेन्द्र पुत्र भगवानदास कुशवाहा व खिसनी खुर्द का रहने वाला भोलू पुत्र रज्जन कुशवाहा घर में आये थे और पीड़िता से बातचीत कर रहे थे। थोड़ी देर बाद पीडिता दोनों के साथ कहीं चली गयी। उपरोक्त दोनो लड़के उसके खिरक में आया जाया करते थे और उसके घर भी आया करते थे, इसलिए दोनों उसकी लड़की पीड़िता को अपने साथ बहला फुसला कर भगा ले गये हैं और अपने साथ पीड़िता घर में रखे जेवरात एवं रूपये भी लेकर चली गयी है। उक्त तहरीर के आधार पर थाना सकरार में अभियुक्त धर्मेन्द्र एवं भोलू के विरूद्ध धारा 363, 366 भा० दं० सं० के अन्तर्गत मुकदमा पंजीकृत किया गया था ।
विवेचक द्वारा बाद विवेचना अभियुक्तगण धर्मेन्द्र व बैजनाथ के विरुद्ध धारा 363, 366, 376, 354ए, 342 भा० दं० सं० व धारा 4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधि० के अंतर्गत एवं अभियुक्त पर्वत के विरूद्ध 363, 366, 354ए, 342 भा० दं० सं० व धारा 8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधि० धारा के अंतर्गत आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया। जहां प्रस्तुत साक्ष्यों एवं गवाहों के आधार पर दोषसिद्ध धर्मेन्द्र को धारा 376 भा०दं०सं० के अंतर्गत 10 वर्ष के कठोर कारावास एवं 10 हजार रूपए अर्थदण्ड ,अर्थदण्ड अदा न करने पर 06 माह के अतिरिक्त कारावास ,दोषसिद्ध धर्मेन्द्र व पर्वत को धारा 363 व 366 भा०दं०सं० के अपराध हेतु 05- 05वर्ष के सश्रम कारावास व 05-05 हजार रूपए अर्थदण्ड ,अर्थदण्ड अदा न करने पर 01-01 माह के अतिरिक्त कारावास व धारा 342 भा०दं०सं० के अपराध में 01 वर्ष के कारावास व 01 हजार रूपये अर्थदण्ड ,अर्थदण्ड अदा न करने पर 01 माह के अतिरिक्त कारावास की सज़ा सुनाई गई।
सभी सजायें साथ-साथ चलेंगी। दोषसिद्ध द्वारा उपरोक्त अपराध में जेल में बितायी गयी अवधि सजा में समायोजित की जायेगी। दोषसिद्ध द्वारा जमा किये गये अर्थदण्ड में से पीड़िता को पचास प्रतिशत धनराशि दं०प्र०सं० की धारा 357 के अन्तर्गत प्रदान की।
वैभव सिंह